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Maharashtra: खेल की श्रेणियों में अब दही-हांडी भी, गोविंदाओं को मिलेंगे नौकरी के अवसर

महाराष्ट्र में दही हांडी को एक खेल का दर्जा दिया गया है। अन्य खेल जैसे खो-खो, कब्बडी की तरह इसे भी खेल की श्रेणी में रखा गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को विधानसभा में बताया कि दही हांडी में शामिल होने वाले गोविंदाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा और सरकारी नौकरियों में 5 फीसदी आरक्षण भी दिया जाएगा। जल्दी ही प्रो कबड्डी के नियमों के आधार पर राज्य में दही हांडी प्रतिस्पर्द्धा भी शुरू की जाएगी।

सीएम शिंदे ने कुछ दिन पहले ही दही हांडी उत्सव के दिन सार्वजनिक छुट्टी घोषित करने का ऐलान किया था। सरकार ने इस संदर्भ में एक सरकारी आदेश भी जारी किया है। खास बात यह है कि दही-हांडी अब सिर्फ गोकुलाष्टमी या जन्माष्टमी के वक्त ही नहीं बल्कि पूरे साल भर के 365 दिन में एक एडवेंचर स्पोर्ट के तौर पर खेला जाएगा।

खेल में घायल हुए युवक को मुआवजा दिया जाएगा

दही हांडी खेलते वक्त अगर किसी प्रकार की कोई दुर्घटना हो जाती है या ऐसे में किसी गोविंदा की मौत हो जाती है तो संबंधित गोविंदा के परिवार वालों को 10 लाख रुपए की रकम मदद के तौर पर दी जाएगी। गंभीर रूप से जख्मी होने पर 7 लाख 50 हजार रुपए की रकम मदद के तौर पर दी जाएगी। यानी अगर ऐसी किसी दुर्घटना में अगर कोई गोविंदा दोनों आंखें या दोनों पैर या दोनों हाथ या शरीर के कोई दो अहम अंग गंवा देता है तो उसे साढ़े सात लाख रुपए की रकम राज्य सरकार की ओर से मदद के तौर पर दी जाएगी। ऐसी किसी दुर्घटना में कोई गोविंद अगर एक हाथ या एक पैर या शरीर का कोई अंग गंवा बैठता है तो ऐसी स्थिति में उसे 5 लाख रुपए की रकम मदद के तौर पर दी जाएगी।

बता दें कि, पूरे भारतवर्ष में जन्माष्टमी पर दही-हांडी का उत्सव मनाया जाता है। वहीं महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पूरे साल में इसे कभी भी मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। साथ ही इसमें भाग लेने वाले युवाओं को नौकरी में आरक्षण भी दिया जाएगा।

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