
फटाफट पढ़ें
- अमेरिका भारत-पाकिस्तान पर नजर रखता है
- यूक्रेन में स्थायी शांति जरूरी है
- युद्धविराम तभी होगा जब गोलीबारी रुके
- अमेरिका स्थायी शांति चाहता है
- भारत तीसरे पक्ष की मदद नहीं चाहता
US On India-Pakistan : अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि अमेरिका भारत-पाकिस्तान के हालात पर रोजाना नजर रखता है. उन्होंने यूक्रेन में युद्धविराम से जुड़ी चुनौतियों पर भी बात की और कहा कि हमारा लक्ष्य एक स्थायी शांति समझौता है.
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने रविवार (17 अगस्त 2025) को यूक्रेन युद्ध को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि युद्ध में सीजफायर तभी संभव है जब दोनों पक्ष गोलीबारी रोकने पर सहमत हों. लेकिन रूस इसके लिए तैयार नहीं है, उन्होंने माना कि युद्धविराम तक पहुंचना ही नहीं, बल्कि उसे बनाए रखना उससे भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण है. साढ़े तीन साल से जारी यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में यह स्थिति और गंभीर हो जाती है.
भारत-पाकिस्तान पर रोज नजर
मार्को रुबियो ने स्पष्ट किया कि अमेरिका का लक्ष्य केवल अस्थायी युद्धविराम नहीं है, बल्कि रूस और यूक्रेन के बीच ऐसा शांति समझौता है, जो भविष्य में भी युद्ध रोक सके. मीडिया से बातचीत में रुबियो ने भारत और पाकिस्तान को लेकर भी बयान दिया. उन्होंने कहा कि हम हर दिन पाकिस्तान और भारत के बीच क्या हो रहा है, उस पर नजर रखते हैं. इस तरह हम कंबोडिया और थाईलैंड जैसे क्षेत्रों पर भी निगरानी रखते हैं. उन्होंने आगे कहा कि युद्धविराम कभी भी टूट सकता है, इसलिए अमेरिका का फोकस स्थायी समाधान पर है.
भारत-पाकिस्तान में सीजफायर पर अमेरिका का दावा पुराना
एक इंटरव्यू में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने भारत-पाकिस्तान संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास ऐसा राष्ट्रपति है, जिसने शांति को अपनी प्राथमिकता बनाया है. हमने इसे कंबोडिया-थाईलैंड और भारत-पाकिस्तान में देखा है. हालांकि, ये पहली बार नहीं है, जब अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान सीजफायर को लेकर दावा किया है. इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप लगातार इस तरह का दावा करते रहे हैं.
भारत ने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से किया इनकार
बता दें कि भारत ने हमेशा किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की बात से इनकार किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान साफ कहा था कि किसी भी देश ने भारत को ऑपरेशन रोकने के लिए नहीं कहा. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी स्पष्ट किया था कि पाकिस्तान के साथ हुए युद्धविराम समझौते में किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं थी.
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