
फटाफट पढ़ें
- सुप्रिया सुले: आरक्षण सिर्फ जरूरतमंदों को
- जाति आरक्षण पर खुली बहस जरूरी
- शिक्षित परिवारों को नहीं चाहिए आरक्षण
- आरक्षण में योग्यता और जरूरत दोनों देखें
- सभी दलों की बैठक बुलाने की मांग
Supriya Sule on Reservation : सुप्रिया सुले ने कहा कि आरक्षण केवल उन्हीं लोगों को मिलना चाहिए जिन्हें सच में जरूरत है. उन्होंने जाति आधारित आरक्षण पर सभी दलों और समाज में खुली बहस की मांग की.
महाराष्ट्र में आरक्षण हमेशा से संवेदनशील मुद्दा रहा है, और अब एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले के बयान ने नई राजनीतिक बहस को जन्म दिया है, उन्होंने साफ कहा कि आरक्षण उन्हीं को मिलना चाहिए जिन्हें वास्तव में इसकी जरूरत हो.
शिक्षित परिवारों को नहीं चाहिए आरक्षण
सांसद सुप्रिया सुले ने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि वे आरक्षण की हकदार नहीं हैं क्योंकि उनका परिवार शिक्षित है और उनके बच्चों को भी बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं. उनका यह बयान महाराष्ट में चल रही आरक्षण की राजनीति को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है.
सुप्रिया सुले ने कहा कि आरक्षण का उद्देश्य उन लोगों को अवसर देना है जो पिछड़े वर्ग से आते हैं और जिनके माता-पिता को शिक्षा व संसाधनों का लाभ नहीं मिला. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, मेरे माता-पिता पढ़े-लिखे हैं, मैं पढ़ी-लिखी हूं, मेरे बच्चे भी अच्छे स्कूल में पढ़ते हैं. ऐसे में अगर मैं आरक्षण मांगूं तो मुझे शर्म आनी चाहिए.
जरूरतमंद और योग्य को ही मिले आरक्षण
उन्होंने कहा कि चंद्रपुर जैसे इलाके के उस बच्चे को यह अधिकार हैं. जिसे मेरी बच्ची जैसी सुविधाएं नहीं मिल पातीं, अगर वह बच्चा अधिक प्रतिभाशाली है, तो उसे अवसर मिलना चाहिए. साथ ही, आरक्षण ऐसा हो जो जरूरत और योग्यता दोनों को समान रूप से ध्यान में रखे.
जब सांसद सुप्रिया सुले से पूछा गया कि जाति आधारित आरक्षण कब खत्म होगा, तो सुप्रिया सुले ने कहा कि यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है. उन्होंने कहा कि उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से आग्रह किया है कि इस मुद्दे पर सभी दलों की बैठक बुलाई जाए. उनका कहना था कि आरक्षण जैसे मुद्दों पर खुली बहस और चर्चा होना जरूरी है.
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