
New Delhi : बांग्लादेश की राजनीति में आज एक ऐतिहासिक और विवादास्पद मोड़ आ गया, जब विशेष न्यायाधिकरण (International Crimes Tribunal – ICT-BD) ने बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को एक से अधिक संगीन मामलों में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुना दी। यह फैसला देशभर में हलचल पैदा कर चुका है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान का केंद्र बन गया है। वहीं न्यायाधिकरण के इस फैसले के बाद शेख हसीना का पहली बार बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने इस फैसले को पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित बताया है।
“ये फैसले एक धांधली वाले न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए हैं”
अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की ओर से बयाज जारी हुआ है जिसमें कहा गया है कि मेरे खिलाफ सुनाए गए फैसले एक धांधली वाले न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए हैं, जिसकी स्थापना और अध्यक्षता एक बिना चुनी हुई सरकार द्वारा की गई है, जिसके पास कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं है। वे पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित हैं। शेख हसीना ने कहा कि आईसीटी में कुछ भी अंतरराष्ट्रीय नहीं है; न ही यह किसी भी तरह से निष्पक्ष है। उनका दावा है कि न्यायाधिकरण ने केवल अवामी लीग के सदस्यों पर मुकदमा चलाया है, जबकि कथित तौर पर राजनीतिक विरोधियों द्वारा की गई हिंसा को नजरअंदाज किया है।
अंतरिम सरकार पर आलोचना और अवामी लीग को निशाना बनाने का आरोप
उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ मौत की सजा की सिफारिश इस बात का संकेत है कि अंतरिम सरकार के चरमपंथी तत्व बांग्लादेश की अंतिम निर्वाचित प्रधानमंत्री को समाप्त करना चाहते हैं और साथ ही अवामी लीग को एक राजनीतिक शक्ति के रूप में खत्म करने की साजिश रच रहे हैं। डॉ यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की अव्यवस्थित, हिंसक और सामाजिक रूप से प्रतिगामी कार्यशैली से जूझ रहे लाखों बांग्लादेशी इन ‘नाटकीय’ मुकदमों से भ्रमित नहीं होंगे। उनका मकसद अवामी लीग को बलि का बकरा बनाना और अंतरिम सरकार की विफलताओं से दुनिया का ध्यान हटाना था, ऐसी नाकामियां, जिन्हें यूनुस और उनके मंत्रियों की अक्षमता ने और बढ़ाया है।
मानवाधिकार और विकास में अपने रिकॉर्ड पर गर्व
हसीना ने कहा कि मैं आईसीटी द्वारा मानवाधिकारों के हनन के अन्य आरोपों को भी निराधार मानते हुए खारिज करता हूं। मुझे मानवाधिकारों और विकास के मामले में अपनी सरकार के रिकॉर्ड पर बहुत गर्व है। हमने 2010 में बांग्लादेश को अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय में शामिल होने के लिए प्रेरित किया, म्यांमार में उत्पीड़न से भाग रहे लाखों रोहिंग्याओं को शरण दी, बिजली और शिक्षा तक पहुच का विस्तार किया, और 15 वर्षों में 450% जीडीपी वृद्धि दर हासिल की, जिससे लाखों लोग गरीबी से बाहर निकले। ये उपलब्धियां ऐतिहासिक रिकॉर्ड का हिस्सा हैं। ये मानवाधिकारों के प्रति उदासीन नेतृत्व के कार्य नहीं हैं।
पुलिस और न्याय व्यवस्था की विफलता: हसीना की चेतावनी
हसीना ने कहा कि यूनुस सरकार में पुलिस व्यवस्था कमजोर हो गई है। न्याय व्यवस्था कमजोर हो गई है, अवामी लीग समर्थकों और हिंदू-मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं, महिलाओं के अधिकार दबाए जा रहे हैं और कट्टरपंथियों का असर बढ़ता जा रहा है। हसीना ने कहा कि डॉ. यूनुस को किसी ने चुना नहीं है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश का अगला चुनाव पूरी तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष होना चाहिए।
बता दें कि शेख हसीना पर मानवता के मानवता के खिलाफ अपराध (Crimes Against Humanity) के मामलों में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा अन्य कई मामले हैं जिसके मद्देनजर न्यायाधिकरण ने शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई है।
आरोप और मामला
न्यायाधिकरण के अनुसार शेख हसीना ने 2024 में देश में हुए छात्र-नेतृत्व वाले विद्रोह के दौरान हिंसा भड़काने और दमन के आदेश देने में भूमिका निभाई थी। अदालत ने तीन प्रमुख आरोप तय किए हैं:
- हिंसा भड़काना और आदेश देना
- दमन और उत्पीड़न रोकने में विफलता
- सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल कर निर्दोष नागरिकों पर हमले करना
अदालत ने यह भी पाया कि उन्होंने ड्रोन, हेलिकॉप्टर और अन्य हथियारों का उपयोग करके प्रदर्शनकारियों और नागरिकों को निशाना बनाने की योजना बनाई थी।









