
Sanjay Singh : मंगलवार को राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह ने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा में चूक, विदेशी हस्तक्षेप स्वीकार करने और राजनीतिक लाभ के लिए देश को बांटने का आरोप लगाया. संजय सिंह ने पहलगाम हमले, सीजफायर की घोषणा और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए.
विदेशी मध्यस्थता और विश्वासघात का आरोप
संजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भारत की उस नीति का उल्लंघन करने का आरोप लगाया, जिसमें भारत-पाकिस्तान मामलों में तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जाती. उन्होंने कहा कि 10 मई को सीजफायर की घोषणा भारतीय धरती से नहीं, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका से की. सिंह ने बताया कि 8 मई को जब भारतीय सेना युद्ध लड़ रही थी, तब सरकार पाकिस्तान की आईएसआई प्रमुख आसीम मलिक से बात कर रही थी. उन्होंने सवाल उठाया कि जब पहलगाम में भारतीय नागरिकों की चीखें आतंकवादियों ने नहीं सुनीं, तो सरकार कैसे पाकिस्तान की बात मान गई?सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि 5 जून को पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी समिति का उपाध्यक्ष बनाया गया, जिसमें अमेरिका का हाथ था. उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवादियों जैसे ओसामा बिन लादेन, मसूद अजहर और हाफिज सईद को पनाह देने और भारत पर हमलों (मुंबई, संसद, अक्षरधाम, उरी, पुलवामा, लालकिला) का जिक्र किया.
पहलगाम हमला: खुफिया और सुरक्षा में चूक
आप सांसद ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पहलगाम में मारे गए 16 नागरिकों और कई सैनिकों को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने सवाल उठाया कि पांच खूंखार आतंकवादी भारत की सीमा में 200 किलोमीटर अंदर तक कैसे घुस गए और बैसरन, पहलगाम में नागरिकों पर हमला कर दिया. उन्होंने खुफिया तंत्र की विफलता के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया. सिंह ने बताया कि सर्वदलीय बैठक में सरकार ने दावा किया था कि बैसरन घाटी केवल अमरनाथ यात्रा के दौरान खुलती है, जबकि यह हमेशा खुली रहती है और वहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे.सिंह ने कानपुर में पहलगाम हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी के परिवार से मुलाकात का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि शुभम की पत्नी और पिता गम में डूबे थे और उन्होंने मांग की कि मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा दिया जाए.
प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति और गलत प्राथमिकताएं
प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करते हुए उन्होेंने कहा, सऊदी अरब से लौटने के बाद वे पहलगाम नहीं गए. इसके बजाय, 24 अप्रैल को वे बिहार में चुनाव प्रचार करने गए और 1 मई को महाराष्ट्र, केरल और आंध्र प्रदेश में उद्घाटन समारोह में शामिल हुए. सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि मोदी को “नॉन-बायोलॉजिकल” और “अवतार” बताने वाले उनकी अनुपस्थिति को जायज ठहराते हैं, लेकिन 18 घंटे काम करने का दावा करने वाले प्रधानमंत्री ने इस गंभीर चर्चा के लिए संसद में दो घंटे भी नहीं दिए.
सेना का अपमान और अग्निपथ योजना
इसके साथ ही संजय सिंह ने सरकार पर सेना का अपमान करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि तीन साल तक सेना में भर्ती बंद रही, जिससे 1.8 लाख सैनिकों की संख्या कम हुई. अग्निपथ योजना को उन्होंने युवाओं के सम्मान पर चोट बताया, जिसमें सैनिकों को केवल चार साल की नौकरी दी जाती है. सिंह ने कहा कि सरकार के पास अपने “दोस्तों” पर खर्च करने के लिए लाखों करोड़ हैं, लेकिन सैनिकों, बीएसएफ, सीआरपीएफ और पैरामिलिट्री फोर्स के लिए पेंशन और शहीद का दर्जा देने के लिए पैसा नहीं है.
अमेरिका और पाकिस्तान की साठगांठ
भारत-पाक के बीच सीजफायर पर उन्होंने कहा कि, मोदी सरकार ने अमेरिका की मध्यस्थता स्वीकार कर भारत की संप्रभुता से समझौता किया. उन्होंने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वैंस और सचिव मार्को रूबियो के ट्वीट का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने मोदी, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और आसीम मलिक से बातचीत का खुलासा किया. सिंह ने 19 जून को ट्रम्प द्वारा पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसीम मुनीर और आईएसआई प्रमुख आसीम मलिक के साथ बंद कमरे में लंच का उल्लेख किया, जहां ट्रम्प ने दावा किया कि उन्होंने “युद्ध रोक दिया.” सिंह ने सवाल उठाया कि 7 फरवरी, 2025 को अमेरिका द्वारा अमृतसर में भारतीयों को हिरासत में लेने पर मोदी ने विरोध क्यों नहीं किया.
चीन की भूमिका और आर्थिक पाखंड
उन्होंने सरकार पर चीन के साथ पाखंड करने का भी आरोप लगाया, चीन ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को मिसाइल दे रहा था. उन्होंने बताया कि 2020 के गलवान संघर्ष के बावजूद, भारत ने पिछले पांच साल में चीन से 37 लाख करोड़ रुपये का आयात किया. सिंह ने सवाल उठाया कि सरकार चीन को आर्थिक रूप से मजबूत क्यों कर रही है, जबकि वह पाकिस्तान का समर्थन करता है.
नशा तस्करी और आतंकवाद का वित्तपोषण
सिंह ने नशा तस्करी को आतंकवाद का वित्तपोषण करने वाला बताया. उन्होंने अडानी के मुंद्रा पोर्ट पर 260 करोड़ और 150 करोड़ रुपये की ड्रग्स पकड़े जाने और एनआईए की सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट का जिक्र किया, जिसमें 21,000 करोड़ की ड्रग्स आतंकवाद से जुड़ी बताई गई. उन्होंने सवाल किया कि अडानी के करीबी होने के बावजूद इन मामलों में कार्रवाई क्यों नहीं हुई.
राजनीतिक अवसरवाद और विभाजनकारी रणनीति
उन्होंने सरकार पर ऑपरेशन सिंदूर का राजनीतिकरण करने और विपक्ष को “देशद्रोही” और “गद्दार” कहने का आरोप लगाया. साथ ही मध्यप्रदेश में भाजपा मंत्री द्वारा कर्नल सोफिया को “आतंकवादियों की बहन” कहने और विदेश सचिव विक्रम मिश्री की बेटी के खिलाफ आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट की निंदा भी की. सिंह ने भाजपा के ट्विटर हैंडल पर “धर्म पूछा, जाति नहीं” जैसे पोस्ट को विभाजनकारी बताया.
आप का रुख: समर्थन के साथ जवाबदेही
संजय सिंह ने स्पष्ट किया कि आप राष्ट्रीय संकट में सरकार के साथ खड़ी रहेगी, लेकिन लोगों को बांटने और अपमानित करने की नीति बंद होनी चाहिए. उन्होंने सेना की वीरता को नमन करते हुए सरकार की विफलताओं पर सवाल उठाने की बात दोहराई.
आप सांसद संजय सिंह का राज्यसभा में भाषण ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम हमले, खुफिया विफलताओं और विदेशी मध्यस्थता पर सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना थी. उन्होंने शहीदों और नागरिकों के लिए सम्मान और राष्ट्रीय सुरक्षा में एकजुटता की मांग की. उनकी यह मांग थी कि सरकार जवाबदेही स्वीकार करे और देश को बांटने की राजनीति बंद करे.
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