
Himachal: गुरुवार को बड़ी संख्या में JOA-IT पोस्ट कोड 817 के अभ्यर्थी अपना दर्द लेकर हिमाचल प्रदेश राज्य सचिवालय के बाहर पहुंचे थे। 4 वर्षों से लगातार नौकरी पाने का इंतजार जो परीक्षाएं पूरी करने के बाद खत्म हो जाना चाहिए था वो भी बरकरार है। मगर हिमाचल के युवा बेरोजगार अभी भी अपने हक की नौकरी पाने का इंतजार कर रहे हैं। तमाम कानूनी लड़ाई पूरी होने के बावजूद अभी तक इन युवाओं को नौकरी नहीं मिली है।
Himachal: ‘6000 से ज्यादा परिवारों पर मानसिक दबाव’
सिस्टम से हताश JOA-IT अभ्यर्थी सौरभ शर्मा ने हिन्दी ख़बर से बातचीत के दौरान बताया कि वो सिरमौर से हैं और पिछले 4 सालों से केवल संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वो अकेले नहीं है, लगभग 6000 परिवार इसी मानसिक दबाव से जूझ रहे हैं। सौरभ शर्मा ने बताया कि उनकी भर्ती का मामला मामला पहले उच्च न्यायालय फिर सर्वोच्च न्यायालय गया। इसके बाद 9 नवंबर 2030 को सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया की उनकी भर्ती साल 2020 के रूल के मुताबिक की जाए। इसके बाद उच्च न्यायालय ने भी दो महीना में भर्ती प्रक्रिया पूरी करने की बात कही लेकिन अभी तक ऐसी कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है।
‘सरकार नहीं कर रही समस्या का हल’
सौरभ शर्मा ने कहा कि, ‘मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कई मंचों से तुरंत प्रभाव से भर्ती प्रक्रिया पूरी करने की बात कह चुके हैं, लेकिन इसके बाद उन्हें सुनने को मिलता है कि कैबिनेट से अनुमति अभी तक नहीं मिली।’ अभ्यर्थियों सरकार पर सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कौन इन भर्ती प्रक्रियाओं को रोकना चाह रहा है? उन्होंने आरोप है कि मुख्यमंत्री के कहने के बावजूद भी भर्ती प्रक्रिया में बहुत देरी हो रही है।
‘सरकार नहीं ले रही सही एक्शन’
अभ्यर्थियों ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि उन्हें बार-बार आश्वासन दिए जा रहे हैं लेकिन भर्ती पूरी करवाने को लेकर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। अभ्यर्थी ज्योति ने कहा कि मुख्यमंत्री खुद में सबसे उच्च अधिकारी हैं। उन्हें इस पर खुद संज्ञान लेकर प्रक्रिया को पूरा करवाना चाहिए लेकिन अभी तक तो केवल आश्वासन ही उन्हें मिल रहे हैं जिससे वे अब मानसिक रूप से भी प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं।
शिमला से योगराज शर्मा की रिपोर्ट
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