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महाराष्ट्र सरकार का बड़ा ऐलान, EOW की एसआईटी करेगी मुंबई कीचड़ घोटाले की जांच

Maharashtra : मीठी नदी की सफाई और कीचड़ को उठाने के काम में घोटाले का मामला सामने आया है। बीजेपी नेताओं की मांग पर महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले की जांच एसआईटी से कराने का फैसला किया है।

मुंबई एक बार फिर भ्रष्टाचार के मामले को लेकर सुर्खियों में है। भ्रष्टाचार का यह मामला मुंबई की मीठी नदी की सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये के घोटाले से जुड़ा हुआ है। बीजेपी नेता लगातार मुंबई कीचड़ घोटाले की जांच की मांग कर रहे थे। भ्रष्टाचार मामले को तूल पकड़ता देख महाराष्ट्र सरकार ने आर्थिक अपराध शाखा के एसआईटी को इस मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंपी है।

ठेके के नाम पर यह भ्रष्टाचार हुआ

मुंबई शहर के बीच से गुजरने वाली मीठी नदी की सफाई और उससे निकले कीचड़ को उठाने के लिए दिए गए ठेके के नाम पर यह भ्रष्टाचार हुआ है। बीजेपी के आरोप के बाद नदी की ड्रेजिंग और उसको गहरा करने में हुई गड़बड़ी मामले की जांच अब मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा करेगी।

जांच कराने का फैसला

महाराष्ट्र विधान परिषद में बीजेपी नेता प्रवीण दरेकर और प्रसाद लाड ने आरोप लगाया था कि मीठी नदी के कीचड़ को उठाने के लिए दिए गए ठेके में गड़बड़ी हुई है। इस आरोप के बाद महाराष्ट्र सरकार ने एसआईटी गठित कर इस मामले की जांच कराने का फैसला किया है।

महाराष्ट्र सरकार के आदेश के बाद अब इस मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा करने जा रही है। इस जांच के लिए मुंबई पुलिस कमिश्नर और आर्थिक अपराध शाखा के ज्वाइंट कमिश्नर के मार्गदर्शन में एक विशेष टीम का गठन किया गया है।

सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी

मीठी नदी से उत्पन्न होने वाले कीचड़ को हटाने के लिए किसे ठेका दिया गया कितना पैसा खर्च हुआ 2005 से 2023 तक कितना कीचड़ हटाया गया कितना सौंदर्यीकरण किया गया जैसे पहलुओं की एसआईटी जांच कर महाराष्ट्र सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी।

ठेकेदारों को बुलाया गया

अब इस मामले में तीन ठेकेदारों को आर्थिक अपराध शाखा के विशेष टीम ने बातचीत के लिए बुलाया है। इस काम के लिए इन तीनों ठेकेदारों को लगभग तीस से 40 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया था।

जांच टीम उससे संतुष्ट नहीं

बता दें कि मीठी नदी का करीब 12 किलोमीटर क्षेत्र मुंबई महानगरपालिका के क्षेत्र में आता है। इसमें करीब 6.8 किलोमीटर का क्षेत्र एमएमआरडीए सीमा से होकर जाता है। दोनों संस्थानो का ठेका देने का तरीका अलग-अलग है इसलिए दोनों संस्थानों से इस मामले में हुई गड़बड़ी के संबंध में दस्तावेज की मांग की गई थी। सूत्रों के मुताबिक नगर पालिका ने इस जांच में जो दस्तावेज दिए हैं वो अपर्याप्त हैं जांच टीम उससे संतुष्ट नहीं है।

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