14 सितंबर को क्यों मनाते हैं हिन्दी दिवस? जानें महत्व और इतिहास

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Hindi Diwas 2023: हिंदी भाषा को भारत की पहचान के तौर पर भी देखा जा सकता है। लेकिन हिन्दी न केवल भारत समेत कई अन्य देशों में भी बोली जाती है। विदेशों में बसे भारतीयों को हिंदी भाषा एक दूसरे से जोड़ने का काम करती है। हिंदी की भूमिका और महत्व काफी गहरा है। इस कारण साल में दो बार हिन्दी दिवस मनाया जाता है। साल में दो बार मनाए जाने वाले हिंदी दिवस में पहला जनवरी महीने में मनाते हैं और दूसरा सितंबर महीने है।

भारत में 22 भाषाएं और उनकी 72507 लिपी हैं। एक देश में इतनी सारी भाषाओं और विविधताओं के बीच हिंदी वह भाषा है जो हिंदुस्तान को जोड़ती है। भारत में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। सभी राज्यों में बसे जनमानस को हिंदी के महत्व से जागरूक करने और इसके प्रचार-प्रसार के लिए भारत हिंदी दिवस मनाते हैं।

रोजमर्रा के जीवन में हिन्दी का उपयोग होना कम हो गया है इसलिए इसे बढ़ावा देने और इसी के साथ ही पीढ़ियो को हिन्दी के प्रति प्रेरित करने के लिए हर साल सितंबर महीने में हिन्दी दिवस मनाया जाता है।

हिंदी दिवस का इतिहास?

भारत में हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत आजादी के बाद हुई। हालांकि इस दिन की नींव स्वतंत्रता दिवस से पहले 1946 में रख दी गई थी। उस वर्ष पहली बार 14 सितंबर के दिन संविधान सभा ने देवनागरी लिपी में लिखी हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की सरकार बनने पर 14 सितंबर को हिंदी दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया और पहला आधिकारिक हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था।

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