
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे (Gyanvapi Masjid Case) के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई पूरी हो गई है।एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह ने सर्वे रिपोर्ट जमा कराने के लिए दो दिन की मोहलत मांगी है। विशाल सिंह ने कहा है कि रिपोर्ट लगभग तैयार है, लेकिन रिपोर्ट पेश करने के लिए दो दिन का वक्त मांगा है। जिसपर कोर्ट 4 बजे फैसला देगी।
सुनवाई पर हिंदू पक्ष के वकीलों ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने के ठीक नीचे मौजूद शिवलिंग तक पहुंचने के लिए पूर्व की तरफ से एक दरवाजा है लेकिन वहां काफी मलबा बड़ा है जिसको हटाया जाना चाहिए। और नंदी के सामने बंद तहखाने के सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया जाए।
सुनवाई में वादी महिलाएं मंजू व्यास, सीता साहू और रेखा पाठक कोर्ट रूम में मौजूद थी। वहीं वादी पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन, सुभाष चंद्र चतुर्वेदी और सुधीर त्रिपाठी समेत प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता अभय नाथ यादव भी कोर्ट रूम में मौजूद थे।
इस बीच एक दिलचस्प बात सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट में जो जज आज ज्ञानवापी मस्जिद के मामले पर सुनवाई जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा ने कि है। ये दोनों जज अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस से भी जुड़े रहे थे।
इबादतगाहों पर सियासत अच्छे मुल्क की निशानी नहीं- मौलाना यासूब
वहीं ज्ञानवापी मामले में शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि इबादतगाहों पर सियासत अच्छे मुल्क की निशानी नहीं। हमारे मुल्क में शिक्षा, विकास, ग़रीबी, बेरोज़गारी पर बात नहीं हो रही। बस मंदिर मस्ज़िद पर सियासत हो रही है। धर्म और सियासत को अलग रखना चाहिए। हिंदुस्तान में आपसी भाईचारा बनाए रखे।
वहीं डॉ. कल्बे सादिक के बेटे और इस्लामिक स्कॉलर मौलाना डॉ. कल्बे सिब्तैन नूरी ने कहा है कि 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने के लिए फिर धार्मिक स्थलों को मुद्दा बना कर धुर्वीकरण की कोशिश की जा रही है। लेकिन मुसलमानों को इन हालात में भी सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास है।