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‘वंदे मातरम’ को पूरे हुए 150 साल, पीएम मोदी ने कहा – यह केवल गीत नहीं, भारत की आत्मा की अभिव्यक्ति है

New Delhi : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण प्रतीक और देश का राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ को आज 150 साल पूरे हो रहे हैं. 7 नवंबर 1875 को बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह रचना हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की आत्मा थी. भारत के संविधान सभा ने 24 जनवरी 1950 को ‘जन गण मन’ को राष्ट्रीय गान और वंदे मातरम को राष्ट्रीय गीत के रूप में स्वीकार किया था.

वेबसाइट का शुभारंभ

हमारे देश के राष्ट्रीय गीत के 150 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देशवासियों को बधाई दी. इस अवसर पर एक कार्यक्रम में जनता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज वन्देमातरम् के 150 वर्षों से जुड़ी वेबसाइट का शुभारंभ कर बहुत प्रसन्नता हुई है. अब प्रत्येक देशवासी अपनी आवाज में इस अमर गीत को गाकर उससे आत्मीय जुड़ाव महसूस कर सकता है.

भारत की आत्मा की अभिव्यक्ति – पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि वन्देमातरम् के सामूहिक गान के हर स्वर में राष्ट्रभक्ति, एकता और समर्पण की अद्भुत गूंज सुनाई दे रही थी. इस प्रस्तुति ने हर किसी को एक बार फिर यह अनुभव कराया कि वंदेमातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा की अभिव्यक्ति है. उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् शब्द हमारे वर्तमान को आत्मविश्वास से भर देता है, यह हमें साहस देता है कि ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है जिसे प्राप्त न किया जा सके.

वंदे मातरम से मिलती है हौसला – पीएम

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज यह दिन वंदे मातरम् की असाधारण यात्रा को याद करने का मौका देता है. वंदे मातरम् हमें हौसला देता है कि ऐसा कोई संकल्प नहीं जिसकी सिद्धि ना हो सके, ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जिसे हम भारतवासी पा ना सकें, वंदे मातरम् के सामूहिक गान का अद्भुत अनुभव वाकई अभिव्यक्ति से परे है.

आजादी का अमर मंत्र बना यह गीत – सीएम योगी

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्य नाथ ने भी जनता को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि आज का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है. आजादी के आंदोलन का मंत्र बने वन्दे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर पीएम मोदी ने इस दिवस को स्मृति दिवस के रूप में आयोजित करने के लिए देशवासियों को नई प्रेरणा दी. सीएम ने कहा कि वन्दे मातरम् भारत की आजादी का अमर मंत्र बन गया था. उस दौरान विदेशी हुकूमत के द्वारा दी जाने वाली अनेक यातनाओं, प्रताड़नाओं की परवाह किए बिना भारत का हर नागरिक (स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, क्रांतिकारी) वन्दे मातरम् गीत के साथ गांव, नगर, प्रभातफेरी के माध्यम से भारत की सामूहिक चेतना के जागरण के अभियान से जुड़ चुका था.

‘वंदे मातरम’ का इतिहास

बता दें कि ‘वंदे मातरम’ जो कि हमारा राष्ट्रीय गीत है, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा 7 नवंबर 1875 को बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखी गई थी. यह मूलतः संस्कृत और बंगाली के मिश्रण में लिखा गया था, जो कि हिंदी/संस्कृत मिश्रित रचना ‘आनंदमठ’ (Anandamath) नामक उपन्यास में 1882 में प्रकाशित किया गया. , इस गीत को संगीत में ढालने का काम रवींद्रनाथ टैगोर ने किया. सार्वजनिक रूप से यह गीत 1896 में कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार गाया गया.

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