
Punjab Cabinet Meeting : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य के प्रशासनिक और विकास से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसलों को मंजूरी दी गई. इन निर्णयों का मकसद सहकारी समितियों के कामकाज को और पारदर्शी बनाना, ग्रामीण विकास को बेहतर गति देना और शहरी जमीन के उपयोग में सुधार लाना है. सहकारी समितियां अधिनियम में संशोधन से लेकर नए पदों के सृजन और लैंड पूलिंग नीति की अधिसूचना वापस लेने तक के ये कदम पंजाब को एक आधुनिक और सुव्यवस्थित प्रशासन की ओर ले जाने का संकेत देते हैं.
पारदर्शिता और कानूनी सुरक्षा को बढ़ावा
पंजाब मंत्रिमंडल ने सहकारी समितियां अधिनियम, 1961 में जरूरी संशोधन को मंजूरी दी है. पहले कुछ श्रेणियों की सहकारी समितियों को पंजीकरण और स्टांप शुल्क से छूट दी गई थी, जिसका फायदा कुछ मामलों में गलत उपयोग हुआ. विशेष रूप से शहरी हाउसिंग सोसायटियों में बिना पंजीकरण के संपत्ति के लेन-देन होने लगे, जिससे बेनामी और गैर-पंजीकृत कब्जे की समस्या बढ़ गई. अब यह संशोधन राज्य सरकार को अधिकार देता है कि वह अधिसूचना के जरिए ऐसी समितियों को अनिवार्य रूप से पंजीकृत कराए, जिससे कानूनी रूप से संपत्ति के अधिकार स्पष्ट होंगे और धोखाधड़ी पर अंकुश लगेगा. यह कदम सहकारी संस्थाओं के कामकाज को अधिक संगठित और विश्वसनीय बनाएगा.

पंचायत विकास सचिव पद बनाया गया
ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को और बेहतर बनाने के उद्देश्य से पंचायत सचिवों और ग्राम सेवकों के कार्यों को एकीकृत करते हुए ‘पंचायत विकास सचिव’ का पद बनाया गया है. इस पद के माध्यम से ग्रामीण प्रशासन में कार्यकुशलता बढ़ेगी और विकास योजनाओं का क्रियान्वयन अधिक प्रभावी होगा. नए पद के लिए एक राज्य स्तरीय कैडर का गठन होगा, जो पूरे पंजाब में ग्रामीण विकास को तेजी से आगे बढ़ाएगा. साथ ही, मौजूदा पंचायत सचिवों के लिए ‘डाइंग कैडर’ का प्रावधान किया गया है ताकि उनकी सेवा का सही उपयोग हो सके और वे ग्राम विकास अधिकारियों के वरिष्ठता क्रम में उचित स्थान पाएं. यह कदम पंजाब के ग्रामीण इलाकों की समस्याओं को प्रभावी ढंग से सुलझाने में मदद करेगा.
फसल खरीद और लैंड पूलिंग नीति पर चर्चा
मंत्रिमंडल ने सावनी और रबी फसलों की खरीद के दौरान कामकाज को बेहतर बनाने के लिए मंत्रियों के एक समूह का गठन भी किया है. इस समूह का नेतृत्व कृषि मंत्री करेंगे, जिसमें खाद्य, आपूर्ति, परिवहन और जल संसाधन मंत्री भी शामिल हैं. इससे फसल खरीद प्रक्रिया में समन्वय बेहतर होगा और किसानों को समय पर उचित सहायता मिलेगी. वहीं, लैंड पूलिंग नीति 2025 की अधिसूचना को वापस लेने का निर्णय भी लिया गया है. यह नीति पिछली अधिसूचना के तहत भूमि अधिग्रहण और शहरी विकास के नियमों को प्रभावित कर रही थी. अधिसूचना वापस लेने के बाद नई नीतियां बनाई जाएंगी ताकि भूमि उपयोग और विकास की प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी, न्यायसंगत और प्रभावी हो सके. यह बदलाव पंजाब के शहरीकरण और ग्रामीण क्षेत्रों के संतुलित विकास के लिए अहम माना जा रहा है.
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