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‘मोदी ने खुद बनाया, अब खुद…, उद्धव ठाकरे के ‘सामना’ ने धनखड़ के इस्तीफे पर लगाए बड़े आरोप

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  • ‘सामना’ ने कहा, इस्तीफा मोदी की असुरक्षा का परिणाम था
  • इस्तीफा पीएमओ बैठक में दिया गया
  • मोदी धनखड़ और भागवत की नजदीकियों से नाराज थे
  • अमित शाह की प्रधानमंत्री बनने की चाह चिंता का कारण बनी
  • इस्तीफा भाजपा और संघ के संघर्ष का संकेत है

Saamana Editorial : सामना में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा पीएम मोदी की असुरक्षा और संघ से उनकी बढ़ती नजदीकी की वजह से हुआ. यह इस्तीफा पीएमओ की बैठक में दिया गया.

शिवसेना के मुखपत्र “सामना” ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर एक बड़ा दावा किया है. “सामना” के मुताबिक धनखड़ को हटाए जाने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच बढ़ती दूरी और तनाव की अहम भूमिका है. सामना में तीखा हमला करते हुए कहा गया है कि इसके पीछे पीएम मोदी की असुरक्षा भावना मुख्य कारण है.

मोदी ने ही धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाया था : सामना

सामना में लिखा गया है कि तानाशाह को खुश रखना आसान नहीं होता, क्योंकि वह केवल अपनी ही परवाह करता है. लेख में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति धनखड़ का पद से हटना उन लोगों के लिए सबक है जो खुद को मोदी का करीबी मानते हैं. मुखपत्र “सामना” का कहना है कि मोदी ने ही धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाया था और अब उन्हीं के इशारे पर उनका इस्तीफा लिया गया.

मोदी धनखड़ और भागवत की नजदीकियों से नाराज थे : सामना

सामना का दावा है कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और संघ प्रमुख मोहन भागवत के बीच नजदीकियां लगातार बढ़ रही थीं. रिपोर्ट के मुताबिक, धनखड़ ने भागवत को पांच से छह बार भोजन पर बुलाया था. सामना का कहना है कि संघ और धनखड़ के बीच बनते रिश्ते से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाराज थे.

इस बात को गंभीरता से लिया और संघ के करीब हो गए

सामना ने यह भी याद दिलाया कि मोहन भागवत पहले ही यह कह चुके हैं कि नेताओं को 75 की उम्र के बाद रिटायर हो जाना चाहिए. सामना का मानना है कि धनखड़ ने इस बात को गंभीरता से लिया और संघ के करीब हो गए.

स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया

सामना के मुताबिक जब पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा पीएमओ में बैठक कर रहे थे, उसी समय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा भेज दिया. सामना ने तंज करते हुए लिखा कि ‘PMO की बैठक चल रही थी और तभी उपराष्ट्रपति का विकेट गिर गया.

प्रो. रामगोपाल यादव का जिक्र करते हुए लिखा

सामना ने सपा नेता प्रो. रामगोपाल यादव का जिक्र करते हुए लिखा है कि उन्होंने बहुत पहले कहा था कि यह व्यक्ति कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगा. जो लोग मूल रूप से बीजेपी से हैं, वे भी इतने लाचार नहीं होते. ये कुछ ज्यादा ही लाड़ उठा रहे हैं.

सामना ने अपने संपादकीय में एक और बड़ा दावा करते हुए लिखा है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की महत्वाकांक्षा प्रधानमंत्री बनने की हैं. लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद उन्हें भी सहज रूप से स्वीकार नहीं कर रहे.

इस्तीफा बीजेपी और संघ के संघर्ष का संकेत है

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर सामना का कहना है कि महज एक व्यक्ति की विदाई नहीं, बल्कि बीजेपी और संघ के बीच गहराते सत्ता संघर्ष का संकेत है. संपादकीय का इशारा है कि आने वाले समय में इस घटनाक्रम के और भी बड़े राजनीतिक परिणाम देखने को मिल सकते हैं.

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