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अमित शाह का हरियाणा दौरा: नए आपराधिक कानून से अपराधियों की धड़कनें रुकेंगी

Amit Shah Haryana visit : देश में कानून और हुकूमत की मजबूती के लिए एक अहम कदम उठाते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 3 अक्टूबर को हरियाणा का दौरा कर रहे हैं. यह दौरा सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा और अपराधियों के खिलाफ नई मुहिम की शुरुआत है. कुरुक्षेत्र में आयोजित प्रदर्शनी के जरिए गृह मंत्री नए आपराधिक कानूनों की अहमियत को आम लोगों के सामने पेश करेंगे, जो आधुनिक भारत में अपराधियों के लिए सख्त पैमाना साबित होंगे.

ये कानून सिर्फ सख्ती के लिए नहीं हैं, बल्कि पारदर्शिता, रफ़्तार और नागरिकों के हक की हिफाजत को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं। चाहे बात हो जीरो एफआईआर की, फास्ट-ट्रैक सुनवाई की, या डिजिटल सुधारों की हर प्रावधान का मकसद है नागरिकों को न्याय दिलाना और अपराधियों को जवाबदेह ठहराना. इस दौरे और नए कानूनों की समीक्षा से यह साफ है कि हरियाणा और पूरे देश में सुरक्षा, न्याय और हुकूमत की मजबूती का एक नया दौर शुरू होने जा रहा है.


जीरो एफआईआर: तुरंत शिकायत, शीघ्र कार्रवाई

नए कानूनों में सबसे अहम है जीरो एफआईआर. अब कोई भी नागरिक किसी भी पुलिस थाने में तुरंत एफआईआर दर्ज करवा सकता है. इसके बाद इसे 15 दिनों के भीतर संबंधित थाने में ट्रांसफर करना अनिवार्य होगा.


विदेश में बैठे अपराधियों पर कार्रवाई

विदेश में बैठे अपराधियों पर अब कोर्ट में पेशी के बिना केस चलाना संभव होगा. दोषी पाए जाने पर सजा सुनाई जाएगी, जिससे अंतरराष्ट्रीय अपराधियों के खिलाफ भी कार्रवाई तेज होगी.


वीडियो रिकॉर्डिंग और पारदर्शिता

तलाशी और जब्ती की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी. बिना रिकॉर्डिंग के आरोप-पत्र मान्य नहीं होंगे. साथ ही, यौन अपराध मामलों में पीड़ित के बयान की वीडियोग्राफी भी अनिवार्य होगी.


वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और फास्ट-ट्रैक सुनवाई

गवाही के लिए अब कोर्ट में पेश होना जरूरी नहीं, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई संभव होगी. 3 साल तक की सजा वाले मामलों की सुनवाई फास्ट-ट्रैक होगी, जिससे सत्र न्यायालयों के 40% मामलों का समाधान जल्द होगा.


छोटे अपराधों में सामुदायिक सेवा

छोटे अपराधों में सजा के बजाय सामुदायिक सेवा का प्रावधान रहेगा. मॉब लिंचिंग जैसी गंभीर घटनाओं में मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान है. पहली बार अपराध करने वाले को सजा का 1/3 काटने के बाद जमानत मिल सकती है.


फोरेंसिक और डिजिटल सुधार

7 साल या उससे अधिक सजा वाले मामलों में फोरेंसिक जांच अनिवार्य होगी. इसके अलावा डिजिटल सुधारों के तहत व्हाट्सएप पर समन भेजने की सुविधा मिलेगी, जिससे प्रक्रिया तेज और पारदर्शी होगी.


नए कानूनों के नाम

  • भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 – भारतीय दंड संहिता का स्थान लेगी.
  • भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता – नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी.
  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम – इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को वैध मान्यता देगा.

इन कानूनों का उद्देश्य सिर्फ अपराधियों को सजा देना नहीं, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा और न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है. यह कदम हरियाणा और पूरे देश में सुरक्षा और व्यवस्था को मजबूत करेगा.


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