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Adultery: J&K हाई कोर्ट ने व्यभिचार के लिए FIR दर्ज करने के मजिस्ट्रेट के आदेश पर लगाई रोक

Adultery: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने हाल ही में एक एफआईआर दर्ज करने के जम्मू न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें कई अपराधों के अलावा, “व्यभिचार” को अपराध के रूप में उद्धृत किया गया था। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में व्यभिचार कानून को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। न्यायमूर्ति वसीम सादिक नरगल ने कहा कि जम्मू में एक न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा अक्टूबर 2023 में पारित आदेश पर रोक लगाने का प्रथम दृष्टया मामला बनता है। इसलिए, अदालत ने आदेश पर रोक लगा दी, मामले के संबंधित रिकॉर्ड को अवलोकन के लिए तलब किया और नोटिस जारी किया।

Adultery: आदेश को दी गई थी चुनौती

हाई कोर्ट के समक्ष याचिका में सेकेंड एडिशनल मुंसिफ, जम्मू द्वारा 27 अक्टूबर, 2023 को पारित एक आदेश को चुनौती दी गई थी। उस आदेश के अनुसार, न्यायिक मजिस्ट्रेट ने धारा 120-ए (आपराधिक साजिश), 312 (गर्भपात का कारण बनना), 313 (महिला की सहमति के बिना गर्भपात का कारण बनना), 497 (व्यभिचार), 506 (सजा) के तहत अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था।

Adultery: आरोपी के रिश्तेदार का भी नाम शामिल

इस मामले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया था, उनमें आरोपी शख्स के रिश्तेदार भी शामिल थे। इसके बाद परिवार के सदस्यों (याचिकाकर्ताओं) ने मजिस्ट्रेट के अक्टूबर 2023 के आदेश को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की। उन्होंने दावा किया कि शिकायत झूठी थी और उन्हें अनावश्यक रूप से आपराधिक कार्यवाही में घसीटा गया था। याचिकाकर्ताओं के वकील ने बताया कि आईपीसी की धारा 497 के तहत अब हटाए गए “व्यभिचार” के अपराध के संबंध में भी एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया था। वकील ने तर्क दिया कि यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रावधान को असंवैधानिक घोषित करने के बावजूद भी ऐसा आदेश दिया गया था।

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