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वीर बाल दिवस पर PM मोदी का संबोधन, वीर साहिबजादों की वीरता का किया गुणगान

Veer Bal Diwas 2025 : आज यानी 26 दिसंबर 2025 को वीर बाल दिवस के मौके पर दिल्ली के भारत मंडपम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों को संबोधित किया और साहस, वीरता तथा बलिदान की मिसाल पेश करने वाले साहिबजादों को याद किया। उन्होंने कहा कि यह दिन उन वीर साहिबजादों को याद करने का है, जिनकी वीरता और साहस ने भारत की शौर्य गाथाओं को अमर किया।

वीर बाल दिवस की अहमियत

दरअसल, यह दिन विशेष रूप से सिखों के गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी के पुत्रों साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के अद्वितीय साहस और बलिदान की स्मृति में मनाया जाता है। इस मौके पर पीएम मोदी ने भारत मंडपम में बच्चों से संवाद करते हुए कहा कि, आज हम वीर बाल दिवस मना रहे हैं। यह दिन उन वीर साहिबजादों का है, जिनकी वीरता और साहस ने भारत की शौर्य गाथाओं को अमर किया। उन्होंने साहिबजादों के अदम्य साहस और शौर्य की सराहना करते हुए बताया कि वे उम्र और अवस्था की सीमाओं को तोड़ते हुए, मुगलों की क्रूरता का सामना करने के लिए खड़े हुए थे। यह संघर्ष केवल एक धार्मिक लड़ाई नहीं, बल्कि सत्य और असत्य, आदर्श और आतंक के बीच था।

वीर साहिबजादों का बलिदान

पीएम मोदी ने कहा कि साहिबजादों ने अपनी छोटी सी उम्र में मुगलों की सत्ता से टकराया। यह लड़ाई भारत के मूल विचारों के लिए थी, और इन बच्चों ने मुगलों के आतंक का डटकर सामना किया। उन्होंने विशेष रूप से साहिबजादा अजीत सिंह जी के प्रसिद्ध शब्दों का उल्लेख किया, “नाम का अजीत हूं, जीता न जाऊं, जीता भी गया तो जीता न आऊं।” यह शब्द उनके दृढ़ निश्चय और अडिग साहस को दर्शाते हैं।

गुलामी की मानसिकता से मुक्ति

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भी, देश में गुलामी की मानसिकता हावी रही, जिसे अब समाप्त किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि 1835 में अंग्रेजों के मैकाले ने जो मानसिकता बोई थी, उससे आज़ादी के बाद भी मुक्ति नहीं मिल पाई। लेकिन अब भारत ने निर्णय लिया है कि इस मानसिकता से मुक्ति पाई जाएगी और वीर बाल दिवस इसका प्रतीक बन चुका है।

जेन-ज़ेड और जेन-अल्फा के लिए संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी बात को जेन-ज़ेड और जेन-अल्फा की पीढ़ी तक पहुंचाते हुए कहा, “आपकी पीढ़ी ही भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य तक ले जाएगी। आपके आत्मविश्वास और योग्यता पर मुझे पूरा विश्वास है।” उन्होंने यह भी कहा कि अब देश में प्रतिभाओं को पहचानने और उन्हें मंच देने का अवसर है, और यही युवा अब देश के उज्जवल भविष्य के निर्माण में सहायक होंगे।

वीरता पुरस्कार और साहसी बच्चों की सराहना

प्रधानमंत्री मोदी ने इस वर्ष वीरता पुरस्कार से सम्मानित 20 बच्चों से मुलाकात की और उनके साहस और संघर्ष की सराहना की। उन्होंने इन बच्चों से कहा, “यह पुरस्कार सिर्फ आपके लिए नहीं, बल्कि आपके माता-पिता, शिक्षक और मेंटर्स के लिए भी है। आप सभी लाखों बच्चों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेंगे।”

समाज में बदलाव की ओर एक कदम

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि वीर बाल दिवस ने साहस और वीरता के प्रतीक साहिबजादों की प्रेरणाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाया है। यह दिन केवल एक ऐतिहासिक स्मृति नहीं है, बल्कि यह बच्चों के बीच साहस और नेतृत्व के गुणों को भी प्रोत्साहित करता है। इस दिन के माध्यम से देशभर में युवाओं को उनके इतिहास, संस्कृति और महान नायकों से जुड़ा हुआ महसूस कराया जा रहा है।

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