
SP Vs ECI : उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची में गड़बड़ियों को लेकर समाजवादी पार्टी और मुख्य निर्वाचन अधिकारी के बीच टकराव गहराता जा रहा है. सपा ने हाल ही में दावा किया था कि उसने 18 हजार से अधिक मतदाताओं के फर्जी नामों के संबंध में एफिडेविट चुनाव आयोग को सौंपे हैं. वहीं, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने सोशल मीडिया पर इस दावे पर सवाल खड़े करते हुए शपथपत्रों की मूल प्रतियों की मांग की है और कहा है कि अब तक सिर्फ कुछ ही स्कैन कॉपियां प्राप्त हुई हैं.
शिकायत के दस्तावेज अधूरे, मूल प्रतियों की मांग
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने एक्स पर बताया कि आयोग को अभी तक 18 हजार में से केवल 3919 एफिडेविट की स्कैन की हुई प्रतियां ईमेल के जरिए प्राप्त हुई हैं, जबकि किसी भी शपथपत्र की मूल प्रति नहीं मिली है. उन्होंने यह भी आशंका जताई कि संभवतः ईमेल भेजते समय सपा कार्यालय से सभी दस्तावेज़ अटैच नहीं हो पाए हों. आयोग ने स्पष्ट किया कि सभी एफिडेविट की मूल प्रतियां या तो राज्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में या संबंधित जिले और विधानसभा क्षेत्रों के अधिकारियों को तत्काल उपलब्ध कराई जाएं ताकि जांच की प्रक्रिया पूरी तरह और शीघ्रता से हो सके.
जांच में सामने आई गंभीर अनियमितताएं
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने जानकारी दी कि ये शिकायतें 33 जिलों के 74 विधानसभा क्षेत्रों से जुड़ी हैं. इनमें से पांच विधानसभा क्षेत्रों की जांच पूरी हो चुकी है. जांच के दौरान सामने आया कि कुछ एफिडेविट उन व्यक्तियों के नाम पर बने हैं जिनकी मृत्यु कई वर्ष पहले हो चुकी थी. वहीं, कुछ अन्य व्यक्तियों ने स्पष्ट कहा कि उन्होंने कोई शपथपत्र नहीं दिया है. आयोग ने चेतावनी दी है कि यदि कोई व्यक्ति झूठे दस्तावेज़ देता है, तो यह कानूनी अपराध माना जाएगा और इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
सपा ने आयोग की निष्पक्षता पर उठाए सवाल
दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग की भूमिका पर गंभीर आरोप लगाए हैं. पार्टी का कहना है कि 2022 का विधानसभा चुनाव और उसके बाद हुए उपचुनाव भाजपा के समर्थन से प्रभावित किए गए और आयोग मूकदर्शक बना रहा. सपा ने यह भी दावा किया कि एफिडेविट देने वाले कई शिकायतकर्ताओं को डराने-धमकाने की खबरें आई हैं. पार्टी ने चुनाव आयोग को भाजपा का एक “राजनीतिक अंग” बताते हुए कहा कि जनता अब आयोग की निष्पक्षता पर भरोसा नहीं करती.
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