
Supreme Court : देश के 12 राज्यों में गहन वोटर पुनरीक्षण यानी एसआईआर (SIR) चल रहा है, जिसको लेकर विपक्ष लगातार नाराजगी और जता रहे हैं और इसका विरोध कर रहे हैं। एसआईआर के खिलाफ राजद सांसद द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी जिसपर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग के अधिकार को छिनने से इनकार कर दिया है।
आयोग के अधिकारों को चुनौती नहीं दी जा सकती
सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि कि अगर इसमें कोई अनियमितता सामने आई तो वह तुरंत सुधार के आदेश देगा। लेकिन चुनाव आयोग के इस प्रक्रिया को रोका नहीं जा सकता है। कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एसआईआर कराने के लेकर चुनाव आयोग के अधिकारों को चुनौती नहीं दी जा सकती। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और उसके पास ऐसा करने का पूरा संवैधानिक और कानूनी अधिकार है।
वकील कपिल सिब्बल ने उठाए थे सवाल
दरअसल, याचिकाकर्ता राजद सांसद मनोज झा की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने एसआईआर की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया था। उन्होंने दलील दी कि देश में लाखों-करोड़ों लोग निरक्षर हैं जो फॉर्म नहीं भर सकते। उनका कहना था कि मतदाता गणना फॉर्म भरवाना ही अपने आप में लोगों को सूची से बाहर करने का हथियार बन गया है।
सिब्बल ने कोर्ट से सवाल किया कि मतदाता को गणना फॉर्म भरने के लिए क्यों कहा जा रहा है? चुनाव आयोग को यह तय करने का अधिकार किसने दिया कि कोई व्यक्ति भारतीय नागरिक है या नहीं? आधार कार्ड में जन्म तिथि और निवास स्थान दर्ज है। 18 साल से ऊपर कोई व्यक्ति अगर स्व-घोषणा कर दे कि वह भारतीय नागरिक है तो उसे मतदाता सूची में शामिल करने के लिए यही काफी होना चाहिए।
तर्कों में दम नहीं – सुप्रीम कोर्ट
इस पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सूर्याकांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि एसआईआर की जरूरत पर सवाल उठाने वाले तर्कों में दम नहीं है। सीजेआई ने याद दिलाया कि पिछले निर्देश पर चुनाव आयोग ने प्रक्रिया में सुधार किया था और उसके बाद एक भी औपचारिक आपत्ति दर्ज नहीं हुई है।
क्या बोले सीजेआई सूर्यकांत?
सीजेआई सूर्याकांत ने सिब्बल से कहा कि सिब्बल साहब, आपने दिल्ली में चुनाव लड़ा है, वहां बहुत लोग वोट डालने नहीं आते। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव त्योहार की तरह मनाया जाता है। वहां हर व्यक्ति को पता होता है कि गांव का निवासी कौन है और कौन नहीं। वहां अधिकतम मतदान होता है और लोग अपने वोट को लेकर बहुत सजग रहते हैं। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि मतदाता सूची को शुद्ध और अपडेट रखना चुनाव आयोग का संवैधानिक दायित्व है और इसके लिए वह जरूरी कदम उठा सकता है।
अनियमितता आने पर तुरंत हस्तक्षेप करेगा कोर्ट
बेंच ने स्पष्ट किया कि एसआईआर की प्रक्रिया को लेकर कोई ठोस शिकायत अभी तक सामने नहीं आई है, इसलिए इसे रोकने का कोई आधार नहीं बनता। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि अगर कोई वास्तविक शिकायत या अनियमितता सामने आती है तो वह तुरंत हस्तक्षेप करेगा और सुधार के आदेश देगा। कोर्ट ने यह भी भरोसा दिलाया कि कोई भी पात्र मतदाता इस प्रक्रिया की वजह से अपने अधिकार से वंचित न हो, इसके लिए वह चौकस रहेगा।
यह भी पढ़ें बीजेपी-शिवसेना में दरार गहरी: देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे के लंका बयान पर किया पलटवार
Hindi Khabar App: देश, राजनीति, टेक, बॉलीवुड, राष्ट्र, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल, ऑटो से जुड़ी ख़बरों को मोबाइल पर पढ़ने के लिए हमारे ऐप को प्ले स्टोर से डाउनलोड कीजिए. हिन्दी ख़बर ऐप









