Prashant Kishor Bihar Capitalism : बिहार की सियासत में इस बार एक अलग ही हवा चल रही है. जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) ने अपने इंटरव्यू में जो बातें कहीं, उन्होंने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. PK ने साफ कहा है कि वो पूंजीवाद (Capitalism) के समर्थक हैं – मगर वो अमेरिकी नहीं, बल्कि यूरोपियन मॉडल को बिहार में लाना चाहते हैं.
उनका कहना है कि पूंजी सिर्फ बड़े-बड़े उद्योगपतियों के हाथों में नहीं रहनी चाहिए. असल तरक्की तब होगी जब आम आदमी के हाथों में भी पूंजी पहुंचे, जब गाँवों के लोग, छोटे व्यापारी, और नौजवान भी आर्थिक रूप से मज़बूत हों. प्रशांत किशोर का मानना है कि
“समाज के नाम पर गरीबी बाँटने से बिहार आगे नहीं बढ़ सकता, उसे पूंजी बनानी होगी, और उसका सही इस्तेमाल करना होगा.”
यूरोपियन मॉडल का सपना
प्रशांत किशोर ने एक दिलचस्प बात कही – उन्होंने कहा कि अमेरिकी पूंजीवाद में धन कुछ गिने-चुने लोगों के पास सिमटा रहता है, जबकि यूरोपियन मॉडल में पूंजी का बंटवारा ज़्यादा संतुलित होता है. यूरोप में सरकारें इस बात का ध्यान रखती हैं कि आम लोग भी विकास की दौड़ में पीछे न रहें. यही सोच वे बिहार में लाना चाहते हैं –
“जहाँ आर्थिक ताक़त कुछ हाथों में न होकर, पूरे समाज में बँटी हो.”
बिहार के लिए नया विजन
PK ने दो टूक कहा – “बिहार को गरीबी नहीं, अवसर चाहिए.” उन्होंने बताया कि जब तक बिहार में पूंजी का निर्माण नहीं होगा, तब तक रोजगार, शिक्षा, और पलायन की समस्या खत्म नहीं हो सकती. उनका मानना है कि अगर राज्य में उद्योग, निवेश और नई सोच को बढ़ावा दिया जाए, तो बिहार देश के सबसे तरक्कीशुदा राज्यों में शामिल हो सकता है.
जन सुराज पार्टी का वादा
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी इस चुनाव में एक नया विकल्प बनकर सामने आई है. उनका कहना है कि अब बिहार को एक ऐसी राजनीति चाहिए जो सिर्फ वादे न करे, बल्कि लोगों को अपने राज्य में रहने और कमाने का मौका दे. उनका सपना है – “एक ऐसा बिहार, जहाँ पूंजी और अवसर सबके दरवाज़े पर दस्तक दें.”
यूरोपियन सोच के इस नए विजन ने बिहार की राजनीति को सोचने पर मजबूर कर दिया है. अब देखना यह है कि क्या जनता इस नए रास्ते को अपनाने को तैयार है या नहीं.
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