
फटाफट पढ़ें
- निलेश लंके ने प्याज पर विरोध जताया
- लंके ने प्याज की माला पहनकर परेशानी दिखाई
- भास्कर भगरे ने सरकार से अपील की
- किसान लागत नहीं निकाल पा रहे, फसल फेंकी जा रही है
- सांसदों ने प्याज के दाम स्थिर करने की मांग की
Parliament Session : महाराष्ट्र के प्याज किसानों को कम कीमतों के कारण बड़ा नुकसान हो रहा है. सांसद निलेश लंके ने संसद में प्याज की माला पहनकर विरोध किया. किसानों को उचित दाम देने की मांग की.
महाराष्ट्र के प्याज किसानों की बढ़ती मुश्किलों को लेकर संसद में विरोध का एक अनोखा अंदाज देखने को मिला. एनसीपी-एससीपी के सांसद निलेश लंके ने प्याज की गिरती कीमतों को लेकर आवाज उठाई और संसद में प्याज की माला पहनकर किसानों की परेशानी को उजागर किया. सांसद निलेश लंके का कहना है कि प्याज महाराष्ट्र के किसानों की सबसे प्रमुख फसल है, लेकिन प्याज के दाम इतने कम हो गए हैं कि किसान बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं.
निलेश लंके ने प्याज की कीमतों पर चिंता जताई
निलेश लंके ने कहा, हमारे महाराष्ट्र के किसान प्याज की खेती पर निर्भर रहते हैं, लेकिन इस बार प्याज के दाम इतनी तेजी से गिरे हैं कि किसानों को नुकसान हो रहा है. किसान हमारे अन्नदाता हैं, उनकी मेहनत की कमाई को सही दाम मिलना चाहिए. हम सरकार से मांग करते हैं कि प्याज के दाम बढ़ाए जाएं ताकि किसानों को उनकी मेहनत का सही लाभ मिले. उनका यह भी कहना था कि अगर प्याज के दाम नहीं सुधरे तो किसानों की आर्थिक स्थिति और खराब हो जाएगी, जिससे खेती से जुड़ी कई मुश्किलें और बढ़ेंगी.
भास्कर भगरे ने संसद में प्याज लेकर विरोध किया
महाराष्ट्र के एक और सांसद, भास्कर भगरे ने संसद में प्याज लेकर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि प्याज की गिरती कीमतों के कारण किसान भारी नुकसान उठा रहे हैं. उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से इस समस्या को गंभीरता से लेने की अपील की. प्याज की कीमतों में इतनी गिरावट आई है कि किसान अपनी लागत तक नहीं निकाल पा रहे हैं. खेती पर जो खर्चा हुआ था, वह भी पूरा नहीं हो पा रहा और इस वजह से किसान आर्थिक संकट में फंस गए हैं. कई किसान अब मजबूर होकर अपनी फसल को सड़क किनारे फेंकने पर मजबूर हैं, जो उनकी हालत को और भी दर्दनाक बना रहा है.
सांसदों की मांग है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर प्याज के भाव को स्थिर करें और किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए ठोस कदम उठाएं. अगर प्याज की कीमतें नहीं सुधरीं, तो किसानों की आमदनी पर बुरा असर होगा और इससे पूरे देश की कृषि अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी.
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