Delhi NCR

‘नए कानून से शिक्षा माफिया की मनमानी बढ़ेगी’, सौरभ भारद्वाज का दिल्ली सरकार पर हमला

Delhi : दिल्ली के निजी स्कूलों में फीस वृद्धि के लिए भाजपा सरकार द्वारा लाए जा रहे स्कूल फीस कंट्रोल बिल को लेकर आम आदमी पार्टी की सारी आशंकाएं सच साबित हो रही हैं। मानसून सत्र में सरकार यह बिल विधानसभा में लाएगी। इस बिल में किए गए प्रावधान से पैरेंट्स की जेब ढीली होगी और निजी स्कूलों व शिक्षा माफिया की दिवाली मनेगी।

सरकार द्वारा विधायकों को दिए गए बिल की कॉपी का हवाला देते हुए ‘‘आप’’ के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नए कानून में स्कूलों के ऑडिट का प्रावधान खत्म कर दिया गया है और बढ़ी फीस की शिकायत के लिए कम से कम 15 फीसद पैरेंट्स का होना अनिवार्य कर दिया गया है। 10 सदस्यीय फीस निर्धारण कमेटी में पांच सदस्य स्कूल के होंगे और पैरेंट्स के 5 सदस्य भी स्कूल ही लॉटरी से चुनेगा, जो फीस बढ़ाने में उसकी मदद करेगा।

शनिवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेसवार्ता कर सौरभ भारद्वाज ने कहा कि फरवरी में भाजपा की सरकार बनी और एक अप्रैल को जब स्कूलों में नया शैक्षिक सत्र शुरू हुआ तो लगभ सभी स्कूलों ने फीस बढ़ा दी। कुछ स्कूलों ने तो 80-82 फीसद तक फीस बढ़ा दी। पूरी दिल्ली ने देखा कि डीपीएस द्वारका के बाहर पैरेंट्स ने कई दिनों तक धरना दिया और स्कूल के खिलाफ नारेबाजी की। बढ़ी फीस नहीं जमा करने वाले बच्चों को प्रताड़ित किया गया, क्लास में नहीं जाने दिया गया, उनको लाइब्रेरी में बैठा कर रखा गया। स्कूलों के बाहर बाउंसर लगाए गए।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इसी दौरान दिल्ली सरकार के एक मंत्री द्वारा एक बड़ी विशेष बात कही गई थी कि अरविंद केजरीवाल की सरकार एक साल में सिर्फ 90 स्कूलों के ऑडिट कराती है, जो गलत है। मंत्री ने कहा था कि भाजपा सरकार ने सभी प्राइवेट स्कूलों की ऑडिट कराई है। मंत्री के कहने का मतलब सरकार ने ये बात कही और खूब ढोल पीटा गया। यह भी कहा गया कि सरकार सभी स्कूलों के ऑडिट को सार्वजनिक करेगी। मंत्री द्वारा कही गई इस बात को करीब चार महीने हो गए हैं। हम भाजपा सरकार से जानना चाहते हैं कि इस ऑडिट को कब सार्वजनिक किया जाएगा।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इसके बाद दिल्ली सरकार ने कहा कि वह नया कानून ला रही है। कानून विधानसभा के जरिए लाया जाएगा। कानून को लोगों की राय लेने के लिए सार्वजनिक नहीं करने पर ‘‘आप’’ ने सवाल उठाया। इसके बाद सरकार द्वारा कहा गया कि कानून लाने की बहुत जल्दी है। इसलिए इसे विधानसभा के बजाय अध्यादेश के जरिए लाएंगे। कानून को केंद्र सरकार और राष्ट्रपति को भेज दिया। अभी तक वह अध्यादेश भी नहीं आया।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा सरकार अब मानसून सत्र में वह कानून ला रही है। उस कानून की कॉपी विधायकों के पास भेजी गई है। कानून के प्रावधान को पढ़ने के बाद विधायकों में चिंता है। कानून में वही बातें सामने आ रही हैं, जिसका आम आदमी पार्टी को डर था। 1973 के कानून में प्रावधान था कि अगर किसी एक पैरेंट्स को भी लगता था कि गलत तरीके से फीस बढ़ी है तो वह शिक्षा निदेशक से शिकायत करता था।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने नए कानून में यह प्रावधान हटाकर दिया है। नए कानून में प्रावधान है कि बढ़ी फीस की शिकायत करने के लिए कम से कम 15 फीसद पैरेंट्स की जरूरत होगी। अगर किसी स्कूल में 3 हजार बच्चे हैं तो 450 पैरेंट्स की जरूरत होगी। इतने पैरेंट्स को कौन ढूंढेगा? अब 450 पैरेंट्स के हस्ताक्षर होंगे तभी बढ़ी फीस की शिकायत हो सकेगी।

सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली के शिक्षा मंत्री से पूछा कि सरकार का इसके पीछे क्या उद्देश्य है, दिल्ली की जनता को बताएं। प्राइवेट स्कूल के पैरेंट्स रोज तो मिलते नहीं हैं। पैरेंट्स अपने बच्चे को स्कूल बस में बैठा कर घर आ जाता है। इनके पास 450 पैरेंट्स की लिस्ट कहां से आएगी? कौन पैरेंट्स 450 पैरेंट्स के घर जाकर उनको समझा कर एकजुट करेगा? यह सीधे तौर पर एक षड़यंत्र है कि पैरेंट्स शिकायत ही नहीं कर पाए। यह तो ऐसे ही है जैसे किसी गली में सीवर भर गया तो पहले मोहल्ले भर के 15 फीसद लोगों से हस्ताक्षर कराओ, तब सीवर खुलेगा। होना तो यह चाहिए कि एक व्यक्ति ने फोन कर दिया, उसकी शिकायत दर्ज कर ली जानी चाहिए।

‘यह कमेटी आपसी सलाह से फीस तय करेगी’

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि नए कानून में कई कमेटियां बना दी गई हैं। यह कानून इतना लचर है कि इसके आने के बाद हर साल मनमाने ढंग से प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ेगी और पैरेंट्स शिकायत तक नहीं कर पाएंगे। कानून में फीस निर्धारण कमेटी में पांच सदस्य स्कूल की तरफ से होंगे और पांच सदस्य पैरेंट्स की तरफ से होंगे। यह कमेटी आपसी सलाह से फीस तय करेगी। स्कूल के पांच सदस्यों को स्कूल मालिक तय करेगा और पैरेंट्स के सदस्य लॉटरी से तय करेंगे। यह लॉटरी स्कूल मालिक निकालेगा। ऐसे में स्कूल मालिक अपने एसमैन को कमेटी में शामिल करेगा, जो मनमानी फीस बढ़ाएगा। ईडब्ल्यूएस के एडमिशन में स्कूल खूब मनमानी करते थे। सबको पता है कि इडब्ल्यूएस के एडमिशन नहीं हुआ करते थे। सिर्फ अपने लोगों के एडमिशन हुआ करते थे।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि शिक्षा मंत्री आशीष सूद सभी प्राइवेट स्कूलों का ऑडिट कराने का ढोल बजा रहे थे। लेकिन इस कानून में ऑडिट कराने का कोई प्रावधान नहीं है। ऑडिट का प्रावधान ही खत्म कर दिया गया है। शिक्षा मंत्री को कानून में हर साल ऑडिट कराने का प्रावधान करना चाहिए था। इसका मतलब साफ है कि स्कूलों की ऑडिट कराने की सरकार की मंशा ही नहीं है। लैंड क्लॉज 1973 के कानूनों से चला आ रहा था कि जिन स्कूलों ने सरकार से जमीन ली है, वो फीस बढ़ाने से पहले शिक्षा निदेशक से अनुमति लेंगे। नए कानून में उस क्लॉज को भी खत्म कर दिया गया है। जिन स्कूलों को एक रुपए में करोड़ों रुपए की जमीन मिली है, इस कानून से उनकी भी चांदी हो गई है।

सौरभ भारद्वाज ने सीएम रेखा गुप्ता और शिक्षा मंत्री आशीष सूद से सवाल किया कि अप्रैल महीने में जिन स्कूलों ने फीस बढ़ाई है, इस कानून से वह बढ़ी फीस कैसे वापस होगी। यह बताएं। इस कानून में ऑडिट का प्रावधान क्यों नहीं रखा गया। बिना ऑडिट किए सरकार कैसे बता देगी कि स्कूल कितनी फीस बढ़ा सकता है? फीस वृद्धि की शिकायत करने के लिए 15 फीसद पैरेंट्स की आवश्यकता क्यों है?

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