Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल इस बार कुछ अलग है. चुनावी मंचों से लेकर गलियों तक, हर जगह उत्तर प्रदेश की सियासत की गूंज सुनाई दे रही है. चाहे बीजेपी हो या समाजवादी पार्टी – हर कोई अपने-अपने अंदाज में “यूपी मॉडल” का हवाला देते हुए जनता को रिझाने की कोशिश कर रहा है.
योगी का बुलडोजर और विकास का दावा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब बिहार की धरती पर उतरते हैं तो उनके भाषणों में यूपी का बुलडोजर, अयोध्या का राम मंदिर और कानून-व्यवस्था का मॉडल साफ झलकता है. उन्होंने मोहिउद्दीननगर की सभा में कहा,
“यूपी में हमने काम से पहचान बनाई है, नाम से नहीं. ”
योगी ने आगे कहा कि जैसे यूपी में माफियाओं पर बुलडोजर चला, वैसे ही अब बिहार में भी अपराध पर सख्त कार्रवाई होगी. उन्होंने सपा और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन्होंने रामभक्तों पर गोली चलाई और छठ महापर्व पर सवाल उठाए, वे अब जनता के बीच क्या मुंह दिखाएंगे.
अखिलेश यादव का पलटवार
वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिहार की धरती से बीजेपी पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने तंज कसते हुए कहा,
“यूपी के एकरंगी नेता को नाम बदलने की बीमारी है – वे नाम, पोशाक और विचार तक बदल देते हैं. ”
अखिलेश ने दावा किया कि समाजवादी सरकार ने एक्सप्रेसवे और विकास की वो नींव रखी थी, जिस पर बीजेपी ने सिर्फ नाम की तख्ती बदल दी. उन्होंने कहा कि वे और तेजस्वी यादव मिलकर यूपी-बिहार को दिल्ली से जोड़ने का नया विज़न लेकर चल रहे हैं.
बिहार बना यूपी रणनीति का प्रयोगशाला
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बिहार का ये चुनाव केवल स्थानीय नहीं है – ये 2027 के यूपी चुनाव की झलक है. बीजेपी और सपा दोनों बिहार में अपने प्रभाव को परख रही हैं. जहाँ बीजेपी यूपी के “विकास और कानून व्यवस्था” मॉडल को पेश कर रही है, वहीं सपा इस छवि को “भ्रम” बताकर जनता के दिलों तक पहुँचने की कोशिश में है.
बिहार और यूपी की भाषा, संस्कृति और समाज में गहरा जुड़ाव है. यही कारण है कि यूपी की सियासत अब बिहार के गलियारों में भी असर दिखा रही है. सच कहा जाए तो इस बार का चुनाव सिर्फ वोटों की जंग नहीं, बल्कि दो राज्यों की राजनीतिक सोच का मुकाबला बन गया है – एक तरफ बुलडोजर की राजनीति, तो दूसरी तरफ समाजवादी सोच का सफर.
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