
Child Adoption : देश में गोद लेने की प्रक्रिया से गुजर रहे बच्चों में से लगभग दो तिहाई बच्चे विशेष जरूरतों वाले हैं, लेकिन इसके बावजूद इन्हें अपनाने के लिए सामने आने वालों की संख्या बहुत कम है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की हालिया वार्षिक रिपोर्ट में यह सामने आया है कि वर्ष 2024 में कुल 3684 बच्चों को कानूनी रूप से गोद लेने की अनुमति दी गई, जिनमें से 2177 बच्चे गोद लेने के लिए उपलब्ध थे. इन उपलब्ध बच्चों में से 1423 बच्चे यानी लगभग 65 प्रतिशत विशेष जरूरतमंद श्रेणी में आते थे.
सरकार के प्रयासों के बावजूद संख्या कम
आरटीआई के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह भी पता चला कि सरकार द्वारा चलाई गई जागरूकता मुहिमों और कई प्रयासों के बावजूद विशेष श्रेणी के बच्चों को गोद लेने की दर बेहद कम है. वर्ष 2018-19 में सबसे ज़्यादा 401 ऐसे बच्चे गोद लिए गए थे, लेकिन उसके बाद यह संख्या लगातार कम हुई. 2019-20 में 166, 2020-21 में 300, 2021-22 में 370, 2023-24 में 328 विशेष बच्चों को गोद लिया गया.
हालांकि 2024-25 में कुल गोद लेने के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली. इस दौरान 4515 बच्चों को गोद लिया गया, जो 2015-16 के बाद सबसे अधिक है. इनमें 3802 बच्चों को देश के भीतर और 464 को विदेशों में गोद लिया गया. आंकड़ों के अनुसार, 3074 बच्चे अनाथ, परित्यक्त या आत्मसमर्पित स्थिति में थे. इसके अलावा, 425 बच्चों को उनके रिश्तेदारों ने, 215 को सौतेले माता-पिता ने और 29 को फोस्टर केयर से गोद लिया गया. विदेशों में गोद लेने के मामलों में 93 बच्चे ओसीआई, 59 एनआरआई और 306 अन्य विदेशी नागरिकों द्वारा गोद लिए गए.
दत्तक व्यवस्था मजबूत, पहचान प्रकोष्ठ और एजेंसियों में बढ़ोतरी
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद 2023 के अंत में सीएआरए ने जुलाई 2024 में एक पहचान प्रकोष्ठ बनाया, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी बाल देखभाल संस्थानों में रह रहे बच्चों को केयरिंग पोर्टल पर पंजीकृत किया जाए. इस पहल के चलते वर्ष 2024 में 11372 नए पंजीकरण हुए और 31 दिसंबर 2024 तक 13712 बच्चे पांच श्रेणियों में सूचीबद्ध किए गए: अनाथ, परित्यक्त, आत्मसमर्पित, मुलाकात रहित और अयोग्य माता-पिता वाले बच्चे.
दत्तक ग्रहण की व्यवस्था को मजबूत करने के लिए विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियों की संख्या 495 से बढ़कर 698 हो गई है. बाल कल्याण समितियों की संख्या 480 से 665 हो चुकी है जबकि जिला बाल सुरक्षा इकाइयों की संख्या 756 दर्ज की गई है. दूसरी ओर, बाल देखभाल संस्थानों की संख्या 6150 से घटकर 5192 रह गई है. इसके पीछे कुछ संस्थानों का बंद होना और आंकड़ों की सफाई को वजह बताया गया है.
सीएआरए के जागरूकता अभियानों के चलते वर्ष 2024 में 364 विशेष जरूरतमंद बच्चों को गोद लेने के लिए आरक्षित किया गया.
वर्षवार विशेष जरूरतमंद बच्चों को गोद लेने के आंकड़े:
- 2018-19: 401
- 2019-20: 166
- 2020-21: 300
- 2021-22: 370
- 2023-24: 328
- 2024-25: 4515 (कुल)
गोद लेने की प्रक्रिया
भारत में बच्चे को गोद लेने के लिए इच्छुक माता-पिता को सबसे पहले सीएआरए की वेबसाइट पर पंजीकरण करना होता है. इसके बाद उनकी घरेलू अध्ययन प्रक्रिया की जाती है. फिर बच्चे का प्रोफाइल दिखाया जाता है और चयन के बाद जिलाधिकारी की अनुमति से गोद लेने की प्रक्रिया पूरी होती है. अंत में बच्चे के नाम से नया जन्म प्रमाण पत्र जारी किया जाता है.
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