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महाराष्ट्र का कार्यभार संभालने ट्रेन से मुंबई रवाना हुए आचार्य देवव्रत, फिर दिखा ‘कॉमन मैन’ अंदाज

फटाफट पढ़ें

  • अब महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में भी काम करेंगे
  • वे गुजरात से ट्रेन लेकर मुंबई के लिए रवाना हुए हैं
  • देवव्रत सादगी और किसान समर्थक जीवन जीते हैं
  • वे गुजरात विद्यापीठ के कुलाधिपति भी हैं
  • 2015 में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बने थे

Acharya Devvrat : गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने एक बार फिर नया उदाहरण पेश किया है. सीपी राधाकृष्णन के उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद उन्हें महाराष्ट्र का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था. आचार्य देवव्रत रविवार की सुबह ट्रेन के जरिए मुंबई के लिए रवाना हुए, जहां वह आज महाराष्ट्र के गवर्नर का कार्यभार ग्रहण करेंगे.

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत का एक फिर से ‘कॉमन मैन’ रूप सामने आया है. सीपी राधाकृष्णन के उपराष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें महाराष्ट्र का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है. रविवार सुबह आचार्य देवव्रत अपनी पत्नी के साथ वीआईपी काफिले की जगह ट्रेन से मुंबई रवाना हुए, उन्होंने गुजरात में हजारों किसानों को प्राकृतिक खेती सिखाकर बड़ी सुर्खियों बटोरी हैं. राज्यपाल आचार्य देवव्रत इससे पहले गांधीनगर से आणंद तक रोडवेज बस में पहुंचे थे. वे कई बार सादगी भरे अंदाज में देखे गए हैं. आचार्य देवव्रत ने एक्स पर एक वीडियो में उन्होंने बताया कि वे तेजस एक्सप्रेस से मुंबई जा रहे हैं. जहां वे महाराष्ट्र के राज्यपाल की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभालेंगे. मुंबई-अहमदाबाद के बीच चलने वाली तेजस एक्सप्रेस सुबह 6:40 बजे गुजरात से रवाना होती है और दोपहर 1.20 बजे मुंबई सेंट्रल पहुंचती है. तेजस की यह यात्रा कुछ 6 घंटे 40 मिनट की है.

2015 में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बने थे

बता दें कि आचार्य देवव्रत मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं. उनके जीवन पर आर्य समाज की शिक्षाओं और स्वामी दयानंद का गहरा प्रभाव रहा है. रोहतक में जन्मे आचार्य देवव्रत गुजरात की प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय गुजरात विद्यापीठ के कुलाधिपति भी हैं. राज्यपाल बनने से पहले वे कुरुक्षेत्र में स्थित एक गुरुकुल के प्राचार्य थे. सरकार ने पहले उन्हें हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया था. इसके बाद उन्हें गुजरात की कार्यभार सौंपा गया. जब जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया था, तो उपराष्ट्रपति पद के संभावित नामों में उनका भी जिक्र हुआ था. प्राकृतिक खेती को मिशन के रूप में अपनाने में लगे आचार्य देवव्रत काफी सात्विक जीवन जीते हैं. उनकी पहल पर गुजरात के हालोल में देश का पहला प्राकृतिक कृषि विश्वविद्यालय भी शुरू हुआ है. हाल ही में आचार्य देवव्रत इस विश्वविद्यालय का निरक्षण करने पहुंचे थे. 66 साल के आचार्य देवव्रत अगस्त 2015 में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बने थे.

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