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ED की छापेमारी या सियासी बदला? सौरभ भारद्वाज पर लगे इल्जामों का सच

Saurabh Bhardwaj ED Raid : दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर से सियासी तूफ़ान खड़ा कर दिया गया है. आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज के 13 ठिकानों पर Enforcement Directorate (ED) ने छापा मारा है. आरोप लगाया जा रहा है कि साल 2018-19 में दिल्ली सरकार की 24 अस्पताल परियोजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ. दावा है कि काम आधा ही हुआ लेकिन 800 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो चुके हैं.

लेकिन सच यह है कि उस समय सौरभ भारद्वाज स्वास्थ्य मंत्री थे ही नहीं. ऐसे में सवाल उठता है कि जब किसी व्यक्ति का उस समय से कोई संबंध ही नहीं, तो उस पर इस तरह के गंभीर आरोप कैसे लगाए जा सकते हैं? यही कारण है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं ने इस पूरी कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित और बदले की कार्रवाई बताया है.


AAP नेताओं की प्रतिक्रियाएं


राजनीति का सच और आम आदमी का भरोसा

सवाल यह है कि जब-जब केंद्र सरकार पर सवाल उठते हैं, उसी वक्त आम आदमी पार्टी के नेताओं पर छापेमारी क्यों होती है? क्या यह सिर्फ संयोग है या राजनीति का खेल? जनता भी अब समझने लगी है कि जब मुद्दा बदलना हो तो विपक्षी नेताओं पर रेड कर दी जाती है. AAP नेताओं के खिलाफ पहले भी कई मामले गढ़े गए. सतेंद्र जैन को तीन साल जेल में रखकर आखिरकार क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करनी पड़ी. इसका साफ मतलब है कि सच्चाई चाहे देर से सामने आए, लेकिन आती जरूर है.


सौरभ भारद्वाज पर आरोप या सियासी साज़िश?

आम आदमी पार्टी के नेता कह रहे हैं कि यह कार्रवाई सिर्फ़ और सिर्फ़ राजनीति से प्रेरित है. जिस समय की परियोजनाओं का हवाला दिया जा रहा है, उस समय सौरभ भारद्वाज स्वास्थ्य मंत्री थे ही नहीं. सौरभ भारद्वाज और AAP नेताओं पर दर्ज केस सिर्फ़ झूठ और राजनीतिक बदले की रणनीति हैं. जनता देख रही है और समझ रही है कि कौन सच बोल रहा है और कौन ध्यान भटका रहा है. आम आदमी पार्टी का विश्वास और सौरभ भारद्वाज की ईमानदार छवि ही आखिरकार सच्चाई की जीत दिलाएगी.

यह भी पढ़ें : सौरभ भारद्वाज के घर ईडी रेड: क्या मोदी डिग्री विवाद से ध्यान भटकाने की साजिश?

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