Uttar Pradeshराज्य

UP में जाति आधारित रैलियों पर रोक: सपा का कटाक्ष, राजकुमार भाटी ने ‘गुर्जर चौपाल’ की नई रणनीति साझा की

हाइलाइट्स :-

  • यूपी में पुलिस रिकॉर्ड से जाति का जिक्र हटाने के आदेश.
  • जाति आधारित रैलियों और आयोजनों पर पूरी तरह रोक.
  • अखिलेश यादव ने फैसले पर उठाए सवाल.
  • राजकुमार भाटी ने ‘पीडीए चौपाल’ नाम का सुझाव दिया.

UP News : उत्तर प्रदेश सरकार के हालिया फैसलों ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है. सरकार ने पुलिस रिकॉर्ड्स और एफआईआर जैसी कानूनी प्रक्रियाओं में जातिगत पहचान को हटाने के साथ-साथ प्रदेश भर में जाति आधारित रैलियों और आयोजनों पर भी पूरी तरह रोक लगा दी है. इन कदमों को लेकर अब विपक्ष खासतौर पर समाजवादी पार्टी लगातार सवाल उठा रहा है.

अखिलेश यादव ने फैसले पर किया कटाक्ष

समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार के फैसले पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया. उन्होंने सरकार पर कटाक्ष करते हुए याद दिलाया कि जब उन्होंने मुख्यमंत्री आवास खाली किया था तो उसे धुलवाया गया था. उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि आखिर 5000 सालों से लोगों के मन में बसे जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए क्या किया जाएगा.

राजकुमार भाटी ने साझा की रणनीति

इस विवाद के बीच समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता राजकुमार भाटी की ओर से आयोजित की जा रही ‘गुर्जर चौपाल’ चर्चाओं में आ गई है. सरकार की सख्ती के चलते अब सवाल उठ रहे हैं कि ऐसी जाति आधारित गतिविधियां आगे कैसे संचालित होंगी. इसको लेकर राजकुमार भाटी ने सोशल मीडिया पर नई रणनीति साझा की है. उन्होंने सुझाव दिया कि अब ‘गुर्जर चौपाल’ जैसे आयोजनों को ‘पीडीए चौपाल’ नाम दिया जाए, जिससे कानून का उल्लंघन न हो और कार्यक्रम शांति से पूरे किए जा सकें. भाटी ने यह भी कहा कि इन आयोजनों का उद्देश्य टकराव नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता है.

राज्य सरकार पर साधा निशाना

हालांकि, भाटी ने राज्य सरकार पर निशाना साधना जारी रखा है. एक अन्य पोस्ट में उन्होंने पूछा कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार गुर्जर समाज की राजनीतिक चेतना से डर गई है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की यह सख्ती विशेष रूप से गुर्जर समाज के कार्यक्रमों के प्रति दिखाई जा रही है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि 2024 के चुनाव से पहले भाजपा ने खुद अपने लखनऊ कार्यालय में विभिन्न जातियों की बैठकें की थीं, ऐसे में अब इस तरह की रोक पक्षपातपूर्ण है.

इसी मुद्दे के तहत मेरठ में हाल ही में बिना अनुमति के आयोजित की गई एक गुर्जर महापंचायत पर भी प्रशासन ने सख्त कार्रवाई की है. दौराला थाना क्षेत्र के दादरी गांव में आयोजित इस कार्यक्रम में हंगामा हो गया और पुलिस ने 22 लोगों को गिरफ्तार किया. आयोजन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों से गुर्जर नेता शामिल होने वाले थे और इस पंचायत में समाज की राजनीतिक भागीदारी और हक से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जानी थी. पुलिस का कहना है कि कार्यक्रम की अनुमति नहीं ली गई थी, जिसके चलते इसे रोका गया.

जाति के उल्लेख पर पूर्ण पाबंदी

उत्तर प्रदेश शासन ने हाल में जारी किए गए निर्देशों में स्पष्ट किया है कि अब सभी प्रकार के पुलिस दस्तावेजों, एफआईआर, गिरफ्तारी मेमो और सार्वजनिक स्थानों पर किसी की जाति का उल्लेख नहीं किया जाएगा. अपराध ट्रैकिंग सिस्टम यानी CCTNS से भी जाति से जुड़ी प्रविष्टियों को हटाने का निर्णय लिया गया है. साथ ही वाहनों पर जातिगत स्लोगन या स्टिकर लगाना अब दंडनीय अपराध माना जाएगा. थानों, सार्वजनिक बोर्डों और बैनरों से भी जाति से जुड़े प्रतीकों और नारों को हटाने के आदेश दिए गए हैं.

सोशल मीडिया पर भी रखी जाएगी नजर

इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी जातिगत गर्व या नफरत फैलाने वाले कंटेंट की निगरानी की जाएगी और ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की बात कही गई है. सरकार ने साफ कर दिया है कि अब प्रदेश में किसी भी प्रकार की जाति आधारित रैलियां, समारोह या राजनीतिक आयोजनों की अनुमति नहीं दी जाएगी.

सरकार का तर्क है कि इस तरह के फैसलों से समाज में समरसता को बढ़ावा मिलेगा और जातिगत विभाजन को खत्म करने की दिशा में एक ठोस कदम साबित होगा. लेकिन विपक्ष इसे केवल दिखावा बता रहा है. अखिलेश यादव का कहना है कि जातिवाद को केवल रिकॉर्ड या बैनर से नहीं मिटाया जा सकता, इसके लिए सोच और व्यवहार में बदलाव लाना जरूरी है.


यह भी पढ़ें : आजम खान की रिहाई से पहले सीतापुर में सुरक्षा कड़ी, भीड़-जाम पर पुलिस की सख्त कार्रवाई

Hindi Khabar App: देश, राजनीति, टेक, बॉलीवुड, राष्ट्र,  बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल, ऑटो से जुड़ी ख़बरों को मोबाइल पर पढ़ने के लिए हमारे ऐप को प्ले स्टोर से डाउनलोड कीजिए. हिन्दी ख़बर ऐप

Related Articles

Back to top button