
America Strict On H-1B Visa : 27 अगस्त को भारत पर 50 फीसदी आयात शुल्क लगाने के बाद अब ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा को लेकर भी कड़ा रुख अपनाने का संकेत दिया है. पिछले दो दिनों में ट्रंप सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और रिपब्लिकन पार्टी के कुछ नेताओं ने H-1B वीजा प्रोग्राम को खत्म करने की मांग जोर शोर से उठाई है.
H-1B वीजा किसे मिलता है?
H-1B वीजा अमेरिका की तरफ से खासकर उच्च प्रशिक्षित विदेशी नागरिकों को दिया जाता है. हाल के वर्षों में इसका 73 से 78 प्रतिशत हिस्सा भारतीय पेशेवरों को मिला है. अगर इस प्रोग्राम में कोई बड़ा बदलाव होता है तो इससे न केवल भारत के सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र पर बल्कि अमेरिकी कंपनियों पर भी असर पड़ेगा.
अमेरिका के वाणिज्य सचिव होवार्ड लुटनिक ने एक अमेरिकी टीवी चैनल को बताया कि H-1B वीजा प्रणाली खराब है और इसे बदला जाएगा. साथ ही ग्रीन कार्ड प्रोग्राम में भी बदलाव किए जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि इन नीतियों को लेकर जो टीम काम कर रही है, वह इसका हिस्सा है. लुटनिक ने भारत के साथ भी शुल्क मुद्दे पर बातचीत की थी, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला. इस मुद्दे को लेकर फॉक्स न्यूज ने कार्यक्रम का नाम ही ‘H-1B वीजा प्रोग्राम एक धोखाधड़ी’ रखा था.
H-1B वीजा के खिलाफ आवाजें
फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डीसैंटिस ने कहा है कि “कंपनियां अमेरिकी नागरिकों को नौकरी से बाहर निकाल रही हैं, लेकिन H-1B वीजा धारकों का कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है. यह नीति गलत है. इससे केवल कुछ कंपनियों और एक देश (भारत) को लाभ होता है. अमेरिकी नागरिकों के होने के बावजूद विदेशी कामगारों को क्यों लाया जा रहा है?”
यह पहला मौका नहीं है जब H-1B प्रोग्राम के खिलाफ आवाज उठी है. वर्ष 2018 में भी राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी नौकरियों की सुरक्षा के लिए एक विधेयक पेश किया था, जिसका मकसद इस प्रोग्राम को कमज़ोर करना था, लेकिन वह आगे नहीं बढ़ पाया. पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में भी अमेरिकी नागरिकों को नौकरी में प्राथमिकता देने के लिए विधेयक प्रस्तावित किया गया था. जब भी ऐसी पहल होती है, भारत सरकार और संबंधित भारतीय व अमेरिकी कंपनियां इसका विरोध करती हैं.
भारत की प्रतिक्रिया
भारतीय विदेश मंत्रालय का रुख है कि H-1B वीजा से दोनों देशों को लाभ होता है. यह मुद्दा भारत ने कई द्विपक्षीय वार्ताओं में उठाया है. भारत मानता है कि दोनों देशों के संबंधों में कुशल पेशेवरों को काम करने की स्वतंत्रता देना महत्वपूर्ण है. अमेरिका के आंकड़ों के मुताबिक़, 2022-23 में अमेरिका ने कुल 2,65,777 H-1B वीजा जारी किए थे, जिनमें से 78 प्रतिशत यानी 2,07,306 वीजा भारतीयों को दिए गए थे. यह स्थिति दोनों देशों के लिए महत्व रखती है और इस मुद्दे पर अभी आगे क्या कदम उठाए जाते हैं, यह देखा जाना बाकी है.
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