राज्य के सहकारी बैंकों ने पंजाब भर में फसली अवशेष प्रबंधन ऋण योजना शुरू की : CM मान

Stubble management

CM भगवंत सिंह मान

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Stubble management : पंजाब में पराली जलाने से उत्पन्न खतरे से निपटने की प्रतिबद्धता के तहत पंजाब के सहकारी बैंकों ने ‘फसली अवशेष प्रबंधन ऋण योजना’ शुरू की है। इस बारे में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को फसली अवशेषों के उचित प्रबंधन के लिए मशीनरी खरीदने के लिए आसानी से ऋण उपलब्ध कराना है, ताकि पराली जलाने से होने वाले पर्यावरणीय प्रदूषण को रोका जा सके। उन्होंने बताया कि यह योजना राज्य सहकारी बैंक चंडीगढ़ और जिला सहकारी बैंकों की 802 शाखाओं में शुरू की गई है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि किसान सरल और आसान प्रक्रिया के माध्यम से इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।

‘किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं’

मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण इलाकों की प्राथमिक कृषि सहकारी सभाओं (पी.ए.सी.) और अन्य प्रगतिशील किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्राथमिक कृषि सहकारी सोसायटियां या अन्य संस्थान कॉमन हायरिंग सेंटर (सी.एच.सी.) योजना के तहत कृषि उपकरणों की खरीद पर 80 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ ले सकते हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इसी तरह प्रगतिशील किसान फसली अवशेष प्रबंधन के लिए बेलर और सुपरसीडर जैसे कृषि उपकरणों की खरीद पर 50 प्रतिशत सब्सिडी के पात्र होंगे।

योजना का लाभ उठाने की अपील

मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि यह योजना पराली जलाने से होने वाले पर्यावरणीय प्रदूषण को कम करने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह योजना किसानों को फसली अवशेषों के प्रबंधन का विकल्प चुनने के लिए प्रोत्साहित करने में सहायक होगी। भगवंत सिंह मान ने किसानों की भलाई को हर संभव तरीके से सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराते हुए किसानों से इस योजना का लाभ उठाने की अपील की।

CM मान ने जताई यह उम्मीद

मुख्यमंत्री ने कहा कि पराली जलाने से उत्पन्न प्रदूषण को कम करने के लिए बायो-ऊर्जा संयंत्रों को समर्थन देने के लिए कृषि अवशेष आपूर्ति श्रृंखला में उद्योगों और किसानों की अधिकतम भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह पहल बायोमास आपूर्ति श्रृंखला के माध्यम से बायो-ऊर्जा उद्योग तक कृषि अवशेषों की पहुंच को सुनिश्चित करके इस प्रदूषण से बचने में मदद करेगी। भगवंत सिंह मान ने कहा कि बिजली उत्पादन इकाइयां, कम्प्रेस्ड बायोगैस (सी.बी.जी.) संयंत्र, 2जी एथेनॉल फैक्ट्रियां फसली अवशेषों पर आधारित अपनी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत कर सकती हैं और इस कदम से बायो-ईंधन उद्योग को समग्र रूप से लाभ हो सकता है।

मशीनरी पर ऋण की पुनर्भुगतान अवधि पांच साल

मुख्यमंत्री ने कहा कि पराली का उपयोग करने वाले विभिन्न उद्योगों के आसपास क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखला स्थापित की जाएगी। उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला के लाभार्थी पराली को एकत्रित करने, कम्प्रेस करने और संग्रहीत करेंगे और आवश्यकता के अनुसार विभिन्न उपभोक्ताओं या उद्योगों को उपलब्ध कराएंगे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि मशीनरी पर ऋण की पुनर्भुगतान अवधि पांच साल होगी और यह ऋण 30 जून और 31 जनवरी को वार्षिक 10 अर्धवार्षिक किश्तों में चुकाया जाएगा।

रिपोर्टः अमित कुमार, संवाददाता, चंडीगढ़

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