
Malegaon Blast Case : साल 2008 में मालेगांव की सड़कों पर जो धमाका हुआ था, उसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. जिसके बाद आतंकवाद, राजनीति और धर्म की तिकड़ी ने इस केस को और ज्यादा पेचीदा कर दिया. लेकिन अब, करीब 16 साल की लंबी सुनवाई और बहसों के बाद, NIA की विशेष अदालत का बड़ा फैसला सामने आया है. जिसमें साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया गया है. इस मामले में कोर्ट ने साफ कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई भी पुख्ता सबूत नहीं पाए गए है बवाजूद इसके उन पर UAPA जैसे कड़े कानून नहीं लगाए जा सकते. फैसले के बाद जहां एक तरफ ‘सत्यमेव जयते’ की गूंज सुनाई दी, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग भी तेज हो गई है.
क्या था मामला?
बात 29 सितंबर 2008 की है जब अचानक महाराष्ट्र के मालेगांव में एक शक्तिशाली बम विस्फोट हुआ था. इस धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल भी हुए थे. जांच एजेंसियों ने इस केस में साध्वी प्रज्ञा, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित समेत 11 लोगों को आरोपी करार दिया था. आरोप लगाया गया था कि आरडीएक्स जम्मू-कश्मीर से लाकर विस्फोटक तैयार किया गया और बाइक पर बम लगाकर धमाका किया गया.
सभी आरोपी हुए बरी
कोर्ट ने कहा कि जिस मोटरसाइकिल का इस्तेमाल बम धमाके में किया गया था, उसका सीधा संबंध साध्वी प्रज्ञा से साबित नहीं हो सका. सबूतों की कमी के चलते सभी सात आरोपियों को बरी किया जाता है.
सीएम योगी ने कांग्रेस को घेरा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस फैसले को “सत्य की जीत” करार दिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति के लिए “भगवा आतंकवाद” जैसे शब्द गढ़े है और सनातन धर्म को बदनाम किया है. सीएम योगी ने मांग की कि कांग्रेस को अपने “अक्षम्य पाप” स्वीकार करके देश से माफी मांगनी चाहिए.
सियासी घमासान तेज
गौरतलब है कि साध्वी प्रज्ञा और बाकी सभी आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया क्योंकि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला. अब सवाल उठ रहे हैं उन राजनीतिक दलों पर, जिन्होंने इस केस को लेकर ‘भगवा आतंकवाद’ जैसा विवादित शब्द दिया है. इस फैसले के बाद राजनीति फिर गर्मा गई है. कांग्रेस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं और भाजपा इसे अपने नैरेटिव की जीत बता रही है. वहीं अब सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर जमकर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
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