वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जम्मू-कश्मीर को लेकर दिया अजीब संकेत, फिर इस तरह से संभाली अपनी बात

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य बनाने को लेकर संकेत दिए लेकिन इसके बाद अचानक से उन्होनें इस संकेत पर उन्होनें इस बात को संभाल भी लिया। निर्मला सीतारमण ने बात को संभालते हुए कहा कि ऐसा ऐसा आने वाले समय में हो सकता है।

दरअसल शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सेंटर स्टेट रिलेशंस- कोऑपरेटिव फेडरलिज्म: द पाथ टुवर्ड्स आत्म निर्भर भारत नाम के ईवेंट में ये बात कही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14वें फाइनेंस कमीशन की रिपोर्ट को पूरी तरह स्वीकार कर लिया है। इसलिए आज राज्यों को टैक्स में से 42% अमाउंट दिया जाता है। इसमें फिलहाल 41% कम है क्योंकि जम्मू-कश्मीर अब राज्य नहीं रहा है। यह जल्दी राज्य बन जाएगा… हो सकता है कुछ समय बाद ऐसा हो।

मैं BJP और गैर-BJP राज्यों में फर्क नहीं करती- सीतारमण

वित्त मंत्री ने कहा कि मैं बिना भ्रष्टाचार के पारदर्शिता के साथ अपना काम कर रही हूं। मैं भाजपा शासित प्रदेशों और गैर-भाजपा शासित प्रदेशों में फर्क नहीं करती हूं। सभी लोगों को सरकार में भरोसा होना चाहिए, उन्हें अपनी ताकत पर और सरकार की ताकत पर भरोसा होना चाहिए। प्रधानमंत्री हमेशा इस बात को प्रमोट करते हैं और इसीलिए हम सहयोगी संघवाद की चर्चा कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सबसे पहले लोगों का भरोसा जीतना जरूरी है और इसमें कोई राज्य अलग नहीं है। आप ऐसा नहीं कह सकते हैं कि मोदी जी आप ये काम गलत कर रहे हैं क्योंकि राज्य सरकार इस बात का समर्थन नहीं करती है। इसमें न मानने वाली कोई बात है ही नहीं। पीएम मोदी चीफ मिनिस्टर भी रहे हैं इसलिए उनकी अप्रोच सिर्फ पद पर बैठ जाने की नहीं बल्कि अपने हर काम से लोगों का भरोसा जीतने की रही है।

आपके टैक्स का पैसा मेरे लिए बेहद कीमती- सीतारमण

वित्त मंत्री ने कहा कि आप लोग टैक्स में जाे पैसे अदा करते हैं वो मेरे लिए उतने ही कीमती हैं, जितने मेरी अपनी जेब में रखे पैसे। मुझे उन पैसों को सबसे बेहतर तरीके से जनकल्याण के लिए इस्तेमाल करना है। सबके साझी जरूरतों के अलावा यह पैसा कहीं और खर्च नहीं होने वाला। इसलिए हमने यह नारा दिया है- सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास।

लोगों की जिंदगी आसान बनानी हैं सरकारी स्कीमें- वित्त मंत्री

उन्होंने आगे कहा कि इस सरकार के काम करने की शैली नागरिकों को सशक्त करने की है। लोगों को घर मिले, घर में टॉयलेट हो, व्यक्ति को जीवन में जिन मौकों की जरूरत है वे उसे मिलें, बैंक उसकी पहुंच में हो, अपना खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए उसे आसानी से लोन मिल सके और इसके लिए उसे किसी सरकारी अधिकारी से कागज न अटेस्ट कराने पड़ें। उसे अपने बीवी के सोने के जेवर गिरवी न रखवाने पड़ें और अगर उसके खुद के पास सोना नहीं है तो उसे गारंटी के लिए किसी और को न ढूंढना पड़े। सरकार की ज्यादातर स्कीमें ऐसी ही हैं।