फटाफट पढ़ें
- ईडी ने जवाद सिद्दीकी को फंडिंग केस में पकड़ा
- ऑनलाइन डेटा हटने से जांच एजेंसियों का शक बढ़ा
- छापे में 48 लाख और संदिग्ध दस्तावेज मिले
- ट्रस्ट की रकम परिवार की कंपनियों में ट्रांसफर मिली
- ट्रस्ट का तेज़ विस्तार आय से मेल न खाने पर सवाल उठे
Delhi Blast Case : ईडी ने आतंकवादी फंडिंग से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में छापेमारी के बाद अल फलाह समूह के अध्यक्ष जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया. सूत्रों के अनुसार, एजेंसी ने अल फलाह के अकाउंटेंट को भी हिरासत में लिया है. दिल्ली ब्लास्ट मामले में फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी का लिंक सामने आने के बाद से इसके संस्थापक जावेद अहमद सिद्दीकी जांच के रडार में हैं.
सिद्दीकी पर शक और गहरा
जांच एजेंसियों के मुताबिक, अल फलाह यूनिवर्सिटी चलाने वाली चैरिटेबल ट्रस्ट में जवाद सिद्दीकी ने अपनी पत्नी, बेटी और भाइयों को ट्रस्टी बनाया हुआ है. इंटरनेट से अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ी जानकारी हटाए जाने के बाद एजेंसियों का शक और भी गहरा गया है. जावेद अहमद सिद्दीकी का जन्म 15 नवंबर 1964 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था. उसने इंदौर की देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी से बीटेक करने के बाद जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में 1992 से 1994 तक लेक्चरर रहे.
ईडी छापे में अल फलाह ट्रस्ट की गड़बड़ियां उजागर
ईडी ने मंगलवार (18 नवंबर 2025) को अल-फलाह ग्रुप के 19 ठिकानों पर छापेमारी की, जहां से महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और करीब 48 लाख रुपये नकद बरामद किए गए. जांच में यह खुलासा हुआ कि ट्रस्ट की धनराशि को गलत तरीके से परिवार की कंपनियों में ट्रांसफर किया गया था. जवाद अहमद सिद्दीकी पर फाइनेंशियल फ्रॉड के भी गंभीर आरोप लग चुके हैं. अल फलाह यूनिवर्सिटी के संचालन में कई वित्तीय गड़बड़ियां सामने आई हैं. ईडी जांच कर रही है कि इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी खड़ा करने के लिए उसके पास करोड़ों रुपए कहां से आए हैं क्योंकि धोखाधड़ी के मामले में वे जेल भी जा चुके हैं. दिल्ली बम ब्लास्ट मामले में भी सिद्दीकी को समन भेजा जा चुका है, लेकिन वे जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए.
अल फलाह ट्रस्ट के विस्तार पर ईडी के सवाल
ईडी के अनुसार, अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना 1995 में हुई थी और शुरुआत से ही जवाद सिद्दीकी इसका मैनेजिंग ट्रस्टी बना हुआ है. ट्रस्ट के नाम पर चलने वाले सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटी सीधे उसके नियंत्रण में काम करते हैं. जांच में यह तथ्य सामने आया कि इस ट्रस्ट ने बेहद तेजी से विस्तार किया, लेकिन उसकी यह वृद्धि वास्तविक आय से मेल नहीं खाती. कंस्ट्रक्शन, कैटरिंग और दूसरी सर्विसेज के कॉन्ट्रैक्ट सीधे उनकी पत्नी और बच्चों की कंपनियों को दिए गए थे. कई शेल कंपनियों का इस्तेमाल पैसे की हेराफेरी के लिए किया गया.
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