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जहरीली दिल्ली से राहत देने का प्रयास, कृत्रिम वर्षा के लिए IIT कानपुर के विमान ने भरी उड़ान

New Delhi : दिल्ली की जहरीली हवा से लोगों को राहत दिलाने के लिए सरकार ने अब विज्ञान की मदद लेने का फैसला किया है। प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से IIT कानपुर की टीम ने मंगलवार को कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस पहल के तहत संस्थान का विशेष विमान मंगलवार सुबह परीक्षण उड़ान पर निकला, जो दिल्ली और एनसीआर के आसमान में संभावित बादलों पर अध्ययन करेगा।

प्रदूषण से बेहाल दिल्ली

दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार “गंभीर” श्रेणी में बना हुआ है। कई इलाकों में AQI 450 से ऊपर दर्ज किया गया है। इससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो रही हैं। स्कूलों में छुट्टियां बढ़ाई गई हैं और निर्माण कार्यों पर रोक लगाई गई है। ऐसे में कृत्रिम वर्षा से राजधानी की हवा को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

IIT कानपुर की तकनीक से होगी कृत्रिम बारिश

IIT कानपुर के पर्यावरण वैज्ञानिकों ने बताया कि यह प्रक्रिया क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) तकनीक पर आधारित है। इसमें विमान के जरिए बादलों में सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड और पोटैशियम आयोडाइड जैसे रसायनों का छिड़काव किया जाता है। इन रसायनों के कारण बादलों में जलकण आपस में जुड़ते हैं और बारिश की बूंदें बनती हैं।

IIT कानपुर के प्रमुख वैज्ञानिक प्रोफेसर मनीष शर्मा ने बताया कि अगर मौसम की स्थिति अनुकूल रही तो अगले 48 घंटों में वास्तविक कृत्रिम वर्षा की कोशिश की जाएगी। हमारी टीम फिलहाल दिल्ली और आसपास के इलाकों में बादलों के घनत्व और तापमान का अध्ययन कर रही है।

सरकार और IIT के बीच समन्वय

दिल्ली सरकार और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के बीच इस प्रोजेक्ट को लेकर पिछले कई दिनों से बैठकों का दौर चल रहा था। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि यह प्रयास दिल्लीवासियों को जहरीली हवा से राहत दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

कब और कहां हो सकती है बारिश

मौसम विभाग के अनुसार, फिलहाल दिल्ली के आसमान में नमी मौजूद है और अगले कुछ दिनों में हल्के बादल छाए रह सकते हैं। अगर परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो 1 या 2 नवंबर को कृत्रिम वर्षा कराने की संभावना जताई जा रही है।


जनता को उम्मीद की किरण

लोगों को उम्मीद है कि यह प्रयास सफल रहेगा। प्रदूषण से परेशान दिल्लीवासियों का कहना है कि अगर यह प्रयोग कामयाब हुआ तो यह देशभर के लिए एक मिसाल साबित हो सकता है।

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