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छत्तीसगढ़ में बड़ा नक्सली हमला: दंतेवाड़ा में IED विस्फोट, दो CRPF जवान घायल

हाइलाइट्स :-

  • दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने IED हमला किया.
  • दो CRPF जवान घायल हुए.
  • सुरक्षा बलों की सतर्कता के बावजूद नक्सली सक्रिय.

CG Naxal Attack : छत्तीसगढ़ में एक ओर जहां नक्सल विरोधी अभियान तेज़ी पकड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर नक्सल हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. ताजा घटना दंतेवाड़ा जिले के पल्ले-बारसूर मार्ग की है, जहां एक आईईडी ब्लास्ट में दो सीआरपीएफ जवान घायल हो गए.

प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, यह धमाका उस समय हुआ जब सुरक्षाबल इलाके में गश्त पर थे. एक डॉग हैंडलर गंभीर रूप से घायल हुआ है, जबकि एक इंस्पेक्टर को हल्की चोटें आई हैं. दोनों जवानों को त्वरित चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई गई और पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

बस्तर रेंज के आईजी पी. सुंदरराज ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि सुरक्षाबलों की लगातार सतर्कता के बावजूद नक्सली इस तरह की कायराना हरकतों को अंजाम दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं सुरक्षाबलों के मनोबल को तोड़ नहीं सकतीं और कार्रवाई और तेज की जाएगी.

नारायणपुर में 16 नक्सलियों ने छोड़ा हिंसा का रास्ता

दूसरी ओर, नारायणपुर जिले से एक सकारात्मक खबर सामने आई है जहां 16 नक्सलियों ने गुरुवार को आत्मसमर्पण कर दिया. इन सभी ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में हथियार डाल दिए.

पुलिस अधीक्षक रॉबिनसन गुरिया ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली लंबे समय से माओवादी संगठनों की निचली इकाइयों में सक्रिय थे. इनमें जनताना सरकार, चेतना नाट्य मंडली और माओवादी पंचायत मिलिशिया से जुड़े सदस्य शामिल हैं.

ये नक्सली प्रत्यक्ष रूप से हथियारबंद माओवादी दस्तों के लिए रसद, दवाइयां, विस्फोटक सामग्री और खुफिया जानकारी जुटाने जैसे काम करते थे. हालांकि संगठन में इनकी स्थिति निचली थी, फिर भी इनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है.

महिला नक्सलियों की हालत बेहद दयनीय

पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने बताया कि संगठन के शीर्ष नेता स्थानीय जनता को गुमराह करते हैं और उनके संसाधनों का शोषण करते हैं.

उन्होंने यह भी खुलासा किया कि महिला नक्सलियों की स्थिति और भी बदतर है. कई बार उन्हें व्यक्तिगत सेवक की तरह इस्तेमाल किया जाता है, और उनके अधिकारों की अनदेखी की जाती है.

राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले हर नक्सली को ₹50,000 की तत्काल सहायता राशि दी गई है. साथ ही, उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं में भी जोड़ा जाएगा.

नक्सलवाद पर नियंत्रण के प्रयास तेज

इन घटनाओं से यह साफ होता है कि राज्य और केंद्र सरकार मिलकर नक्सलवाद को समाप्त करने की दिशा में गंभीर प्रयास कर रही हैं. जहां एक ओर आत्मसमर्पण की संख्या बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर आईईडी हमले यह भी दर्शाते हैं कि चुनौती अभी समाप्त नहीं हुई है. सुरक्षाबल लगातार ऑपरेशनल सतर्कता बनाए हुए हैं और माओवादी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है.
एक ओर जहां हिंसा का रास्ता छोड़कर नक्सली समाज की मुख्यधारा से जुड़ने की ओर बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सुरक्षा बलों को अब भी नक्सलियों की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार के दृढ़ संकल्प और जनता के सहयोग से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में नक्सलवाद पर निर्णायक नियंत्रण स्थापित किया जा सकेगा.


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