
Chhath Puja 2023: आज यानी 20 नंवबर को छठ महापर्व का आखिरी दिन है। चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन प्रातः काल उगते सूर्य को जल दिया जाता है। इसी के साथ छठ पर्व का समापन हो जाता है। छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इसके बाद दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन को ऊषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। ये महापर्व मुख्य रुप से बिहार झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ का महापर्व संतान के लिए और सुख समृद्धि के लिए रखा जाता है। छठ का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। चौथे दिन में चलिए जानते हैं उगते सूर्य को अर्घ्य देने की विधि
उषा अर्घ्य की विधि
इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देते समय अपना चेहरा पूर्व दिशा की ओर ही रखें।
अर्घ्य देने के लिए हमेशा तांबे के पात्र का ही प्रयोग करें।
सूर्य देव को जल चढ़ाते देते समय जल के पात्र को हमेशा दोनों हाथों से पकड़े।
सूर्य को अर्घ्य देते समय पानी की धार पर पड़ रही किरणों को देखना बहुत ही शुभ माना जाता है।
अर्घ्य देते समय पात्र में अक्षत और लाल रंग का फूल जरूर डालें।
उषा अर्घ्य का महत्व
चार दिवसीय छठ पूजा का समापन उषा अर्घ्य होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ के व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले लोग सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उदित होते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद सूर्य देव और छठ माता से संतान के सुखी जीवन और परिवार की सुख-शांति की कामना करते हैं।
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