
अहम बातें एक नजर में :
- बिहार सरकार ने डिजिटल कृषि निदेशालय के गठन को मंजूरी दी.
- किसानों को योजनाओं का लाभ रियल टाइम मिलेगा.
- खेती से जुड़ी सुविधाएँ अब मोबाइल ऐप और ई-गवर्नेंस टूल्स पर मिलेंगी.
- किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड, ड्रोन तकनीक और मौसम की जानकारी आसानी से उपलब्ध होगी.
- फार्मर रजिस्ट्री डिजिटल होगी, जिससे समय और मेहनत दोनों की बचत होगी.
- ई-डैशबोर्ड से योजनाओं की निगरानी और विभागीय समन्वय बेहतर होगा.
- खेती में तकनीकी बदलाव और पारदर्शिता आएगी.
Bihar Digital Agriculture Directorate : बिहार के किसानों को जल्द ही नई सौगात मिलने वाली है. अब किसान भी इस डिजिटल क्रांति के दौर हाईटेक होने वाले हैं. नीतीश सरकार ने किसानों और खेत खलिहानों के डिजिटलाइजेशन का काम शुरू भी कर दिया है. जल्द ही खेतों-खलिहानों की दुनिया में डिजिटल क्रांति दिखाई देने लगेगी. नीतीश कैबिनेट ने कृषि विभाग के डिजिटल कृषि निदेशालय के गठन को हरी झंडी दे दी है. इसके शुरू होते ही किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ रियल टाइम मिलेगा. खेती से जुड़े तमाम काम मोबाइल एप और ई-गवर्नेंस टूल्स से आसान हो जाएंगे.
फसल से बाजार तक, अब सब कुछ डिजिटल
डिजिटल कृषि निदेशालय का मकसद खेती में वैज्ञानिक तकनीकों को किसानों तक पहुंचाना है. निदेशालय की कोशिश है कि किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड, पौधा संरक्षण में ड्रोन तकनीक और फसल मौसम की जानकारी मिलती रहे. इस डिजिटल प्लेटफॉम पर जनरल क्रॉप एस्टीमेशन सर्वे के जरिए सही और सटीक जानकारी मिलेगी.

योजनाओं के क्रियान्वयन में आएगी रफ्तार
यह निदेशालय न सिर्फ किसानों की मदद करेगा, बल्कि कृषि विभाग के विभिन्न निदेशालयों, निगमों और संभागीय कार्यालयों में भी डिजिटल आधारभूत संरचना तैयार करेगा. मोबाइल एप्लीकेशन, ई-गवर्नेंस टूल्स और ई-ऑफिस प्रणाली के जरिए योजनाओं के क्रियान्वयन की गति तेज होगी और सेवाएं किसानों तक समय पर पहुंचेंगी.
आसान होगी फार्मर रजिस्ट्री
अब किसान घर बैठे मोबाइल पर कृषि संबंधी जानकारी हासिल कर सकेंगे. फार्मर रजिस्ट्री से जुड़ी सारी प्रक्रिया डिजिटल होगी. इससे समय और मेहनत दोनों की बचत होगी. साथ ही, ई-डैशबोर्ड के जरिए योजनाओं की निगरानी और अन्य विभागों के साथ समन्वय भी बेहतर होगा.

खेती में आएगा तकनीकी बदलाव
राज्य सरकार का मानना है कि यह कदम बिहार की खेती में तकनीकी बदलाव का नया अध्याय खोलेगा. पारदर्शिता बढ़ेगी, आंकड़े सटीक होंगे और किसान बिना चक्कर लगाए सीधे अपने खेत में खड़े-खड़े सरकारी योजनाओं का लाभ ले पाएंगे.
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