
New Delhi : जगदीप धनखड़ ने अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का उद्घाटन किया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित 8 वीं अंतरराष्ट्रीय गीता संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद विश्व ने इतनी पीड़ा कभी नहीं देखी जितनी आज देख रही है। आज हम ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठे हैं, एक तरफ़ इजरायल और हमास का युद्ध तथा दूसरी तरफ यूक्रेन और रूस का युद्ध है।
जगदीप धनखड़ ने क्या कहा?
जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारतवर्ष की जो वर्तमान गवर्नेंस है, उसको मैं गीता गवर्नेंस कह सकता हूं। भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि अर्जुन तेरे सामने कौन है? रिश्तेदार होंगे, गुरुजन होंगे, प्रियजन होंगे, मित्र होंगे! पथभ्रष्ट मत हो, कर्तव्य को मत छोड़ो, कर्तव्य को करते रहो! भारत के पीएम मोदी आज यही कर रहे हैं!
गीता हमें एकता का पाठ पढ़ाती है
जगदीप धनखड़ ने कहा कि गीता की फिलॉसफी जितनी प्रासंगिक आज है, उतनी इससे पहले कभी नहीं थी। उन्होंने आगे कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने बातचीत के माध्यम से युद्ध को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने की बात कही थी, उन्होंने यह भी कहा कि हम एक विस्तारवादी काल में नहीं रह रहे हैं। प्रधानमंत्री जी की यह सलाह गीता के दर्शन पर आधारित है। भारत का संविधान गीता के दर्शन पर आधारित है, गीता हमें एकता का पाठ पढ़ाती है।
वर्तमान शासन व्यवस्था को गीता गवर्नेंस कहा जा सकता है
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतवर्ष की वर्तमान शासन व्यवस्था को गीता गवर्नेंस कहा जा सकता है क्योंकि यह समावेशी है, सबका साथ सबका विकास में विश्वास रखता है, और सबको कानून की नजर में बराबर रखता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी आज धर्म के मार्ग पर चलकर अपना काम कर रहे हैं।
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