
चेन्नई, तमिलनाडु की राजधानी, गर्मी से बूंद-बूंद पानी बहता है। चेन्नई को “नहरों का शहर” बनाया जा रहा है ताकि स्थिति बदतर न हो। पुरानी चेन्नई में 33 नहरें थीं, जो 53 किमी लंबी थीं, लेकिन अतिक्रमण के चलते वे धीरे-धीरे खत्म हो गईं।
ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन के कमिश्नर जे. राधाकृष्णन ने बताया कि नया प्रोजेक्ट खाना खाने का है। 33 सूक्ष्म नहरों में से 21 को फिर से बनाया जा रहा है। 10 मीटर से अधिक चौड़ी होंगी। जनवरी से काम शुरू होगा। शुरुआत में 86.4 करोड़ रुपये लगेंगे।
साल भर पानी रहने से नहरों से न केवल बाढ़ का पानी निकल सकेगा, बल्कि भूमिगत जलस्तर भी बढ़ेगा। भविष्य में इन नहरों को एक साथ जोड़ने की योजना है। इन्हीं से पानी का रास्ता बनेगा। जब नहरें शुरू होंगी तो चेन्नई को इटली का वेनिस लगेगा।
फेयरी सर्विस का प्रस्ताव तैयार…
जुलाई 2022 में, तमिलनाडु राजमार्ग विभाग ने केंद्रीय जलमार्ग प्राधिकरण को बकिंघम नहर पर एक 760 मीटर लंबा ब्रिज बनाने का प्रस्ताव भेजा था। तब सरकार ने चेन्नई सेंट्रल से मरक्कानम को जोड़ने के लिए 110 किमी लंबी फेयरी सेवा शुरू की। इस मार्ग पर कई कम ऊंचाई वाले ब्रिज होने के कारण प्रस्ताव रुक गया।
अब राजमार्ग विभाग ने ओल्ड महाबलीपुरम रोड को पूर्वी तटवर्ती रोड से जोड़ने का प्रस्ताव किया है। इसके लिए दोनों किनारों से अतिक्रमण भी हटाया जा रहा है। यदि प्रस्ताव पारित होता है, तो चेन्नई देश का पहला शहर होगा जिसे जलमार्ग से परिवहन करना संभव होगा।
28 किमी लंबा होगा नहरों का नेटवर्क
- चेन्नई रिवर्स रेस्टोरेशन ट्रस्ट प्रोजेक्ट का खर्च उठाएगा। 21 नहरों की कुल लंबाई 28.27 किमी होगी। इनका आखिरी छोर समुद्र में खुलेगा।
- शहर में पहले से मौजूद छोटी-छोटी नहरों जैसे राजभवन, नुंगमबाकम, गिंडी, अडयार, कैप्टन कॉटन, नंदानम नहरों को भी पुनर्जीवित किया जाएगा।
- सभी नहरें एक सिस्टम के जरिए नियंत्रित होंगी, ताकि भूमिगत जलस्तर सही ढंग से बढ़ सके। इसके लिए इनके किनारों और बीच-बीच में रिसाव गड्ढे बनाएंगे।
- सूक्ष्म नहरें सूखे की स्थिति में भी बनी रहेंगी। ये सिंचाई को बढ़ा सकती हैं। इस मेगा परियोजना से चेन्नई का जल चक्र सुधर जाएगा। साथ ही चेन्नई को जलमार्ग भी मिल जाएगा।
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