
हर साल कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा पूजा की जाती है। जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है तो उसे कन्या संक्रांति कहते है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को ही मनाते हैं और इस बार कन्या संक्रांति 17 सितंबर को ही है। तो, इस आधार पर विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को ही मनाई जाएगी।
विश्वकर्मा पूजा के दिन यंत्रों और देवताओं के शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाएगी। भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला इंजीनियर भी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि की रचना के समय भगवान ब्रह्मा की मदद की थी। इसलिए इस दिन को वास्तु दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
इस दिन औजारों, मशीनों, उपकरणों, कलम, दवात की पूजा की जाती है। माना जाता है कि अगर व्यक्ति के ऊपर भगवान विश्वकर्मा की कृपा है, तो बिजनेस में तरक्की और उन्नति जरूर मिलती है।
विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त
17 सितंबर को सुबह 07.39 मिनट से सुबह 09.11 मिनट तक
दोपहर 01.48 मिनट से दोपहर 03.20 मिनट तक
दोपहर 03.20 मिनट से शाम 04.52 मिनट तक
विश्वकर्मा पूजा पूजन विधि
प्रातकाल सभी कामों से निवृत्त होने के साथ दुकान, कारखाना, ऑफिस की सफाई करके नहा लें।
इसके बाद विश्वकर्मा पूजा का संकल्प करें।
अब पूजा स्थान वाली जगह कारखाने, ऑफिस में एक चौकी में साफ कपड़ा बिछाकर विश्वकर्मा जी की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें।
कलश स्थापना के लिए एक लोटे में जल भर कर उसके ऊपर आम के पत्ते रख दें। इसके बाद एक नारियल में कलावा लपेटकर ऊपर रख दें।
अब विश्वकर्मा जी को दही, अक्षत, फूल, धूप, अगरबत्ती, चंदन, रोली, फल, रक्षा सूत्र, सुपारी, मिठाई, वस्त्र अर्पित करें।
इसके बाद औजारों, यंत्रों, वाहन, अस्त्र-शस्त्र की भी पूजा करें।