
Punjab Social Reforms : पंजाब की सामाजिक सुरक्षा, स्त्री एवं बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने “विकसित भारत 2047” रोडमैप के लिए सलाह-मशवरे की प्रक्रिया में भाग लेते हुए महत्वपूर्ण सुधारों की जोरदार पैरवी की. उन्होंने कहा कि ये सुझाव पंजाब सरकार की प्रगतिशील सोच और सामाजिक न्याय के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं.
सीएम मान के नेतृत्व की प्रशंसा
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की योग्य नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए डॉ. बलजीत कौर ने कहा कि मान सरकार शिक्षा, सामाजिक न्याय और बाल कल्याण के क्षेत्र में देश के लिए नए मानक स्थापित कर रही है. उन्होंने बताया कि पंजाब के प्रस्तुत सुझाव देशव्यापी सुधारों की दिशा तय करने में सहायक सिद्ध होंगे.
डॉ. बलजीत कौर ने सामाजिक न्याय, अधिकारिता और अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री डॉ. बरिंदर कुमार तथा अन्य राज्यों के मंत्रियों का धन्यवाद किया, जिन्होंने पंजाब को अपने विचार साझा करने का अवसर प्रदान किया. उन्होंने विशेष रूप से “एक राष्ट्र एक स्कॉलरशिप” अवधारणा को एक पैन-इंडिया ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से सुदृढ़ किए जाने का सुझाव दिया, ताकि छात्रों को अन्य राज्यों में दाखिले के समय सत्यापन में अनावश्यक देरी न हो.
स्कॉलरशिप के लिए आयु मानदंड को बढ़ाने की सिफारिश
बाल विकास मंत्री ने पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप योजनाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ समान आय मानदंड पेश करने की सिफारिश भी की, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी योग्य बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे. उन्होंने विशेष रूप से सिफारिश की कि एस.सी. पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए आय मानदंड 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए किए जाएं, ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थी योजना का लाभ उठा सकें.
डॉ बलजीत कौर ने आदर्श ग्राम योजना के उद्देश्यों को पुनः सशक्त और अपग्रेड करने की आवश्यकता पर भी उन्होंने जोर दिया, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य की बड़ी अनुसूचित जाति आबादी तक इसका प्रभावी लाभ पहुंचे. उन्होंने प्रस्ताव रखा कि आदर्श ग्राम योजना के तहत आवंटन को मौजूदा 20 लाख रुपए से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए प्रति गाँव किया जाए, ताकि मॉडल गाँवों को सम्पूर्ण एवं प्रभावशाली तरीके से विकसित किया जा सके.
हिंसा रोकने के लिए भारत सरकार से सख्त कानून की मांग
अंतरजातीय कतलों का मुद्दा उठाते हुए डॉ. बलजीत कौर ने भारत सरकार से अपील की कि अंतर-जातीय विवाहों के विरुद्ध भड़काने और हिंसा को रोकने के लिए एक सख्त राष्ट्रीय स्तर का कानून लागू किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि एस.सी./एस.टी. अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत हत्या और बलात्कार के मामलों में वित्तीय सहायता 8.5 लाख रुपए से बढ़ाकर अधिक की जाए, ताकि पीड़ितों और उनके परिवारों को वास्तविक राहत मिल सके.
डॉ. बलजीत कौर ने युवाओं को टिकाऊ रोजगार प्रदान करने के लिए पारंपरिक सिलाई-ब्यूटी पार्लर कोर्सेस की बजाय नर्सिंग और सीनियर सिटीजन केयर जैसे आधुनिक रोजगार परियोजनाओं को बढ़ावा देने की अपील की.
बाल भिक्षा समाप्ति की ओर पंजाब
बाल भिक्षा समाप्ति में पंजाब की सफलता को उजागर करते हुए उन्होंने साझा किया कि विभिन्न ऐक्ट्स के तहत बनाए गए दिशानिर्देशों को एकीकृत करके और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अब तक 700 से अधिक बच्चों को भिक्षा मंगने से बचाया गया है. शोषण करने वालों की पहचान हेतु डी.एन.ए. टेस्ट कराए गए और बच्चों को पुनर्वासित करके स्कूलों में दाखिला दिलवाया गया. उन्होंने स्पष्ट किया कि, “आज, पंजाब की सड़कों पर आपको भिख मांगता बच्चा नहीं मिलेगा, यह मॉडल सभी राज्यों द्वारा अपनाया जाना चाहिए.”
डॉ. बलजीत कौर ने भारत सरकार के समक्ष यह भी ज़ोर दिया कि एस.सी./बी.सी. विद्यार्थियों के लिए बनाए जा रहे होस्टल्स का नाम एस.सी./बी.सी. न रखा जाए, ताकि वहां रहने वाले विद्यार्थियों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव न हो और समान वातावरण सुनिश्चित हो. साथ ही उन्होंने यह सुझाव दिया कि देशभर में बाल भिक्षा समाप्ति हेतु पंजाब मॉडल को लागू किया जाए.
अंत में, उन्होंने कहा कि, इन सुझावों के माध्यम से पंजाब ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि सामाजिक न्याय, शिक्षा और बाल कल्याण में देश को आगे ले जाने के लिए यह हमेशा नेतृत्व करता रहेगा.
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