
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंगलवार को सभी तकनीकी और गैर-तकनीकी उच्च शिक्षण संस्थानों में हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाने की संसदीय समिति की सिफारिश के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की मांग की।
पीएम मोदी को लिखे एक पत्र में, पिनाराई विजयन ने कहा कि भारत का सार ‘अनेकता में एकता’ की अवधारणा से परिभाषित होता है जो सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को स्वीकार करता है। उन्होंने केंद्र सरकार को दूसरों के ऊपर किसी एक भाषा को बढ़ावा देने के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि इस तरह का कदम राष्ट्र की अखंडता को नष्ट कर देगा।
विजयन ने अपने पत्र में कहा, “हमारे देश के नौकरी चाहने वालों और छात्रों को इस संबंध में गंभीर आशंकाएं हैं। मैं इस अवसर पर सुझाव देता हूं कि भारत सरकार में पदों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र संविधान की आठवीं अनुसूची में निर्दिष्ट सभी भाषाओं में दिए जाएं।”
उन्होंने इस मुद्दे को उजागर करने के लिए ट्विटर पर भी कहा, “केंद्र सरकार का हिंदी थोपना कदम भारत के पोषित आदर्श, विविधता में एकता पर हमला है।”
उन्होंने आगे कहा, “यह शिक्षा और रोजगार के मामले में भारतीयों के एक बड़े हिस्से को नुकसान पहुंचाएगा। सहकारी संघवाद का अपमान करने वाले इस कठोर कदम का एकजुट होकर विरोध करना होगा।”
यह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में राजभाषा पर संसदीय समिति द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को प्रस्तुत एक रिपोर्ट पर कड़ी आपत्ति के दो दिन बाद विजयन का ये बयान आया है।
बीते कुछ समय में केंद्र सरकार पर हिन्दी भाषा को गैर-हिन्दी भाषियों पर थोपने आरोप लगाते हुए तमिलनाडु सीएम स्टालिन और अब केरल सीएम विजयन ने विवादित बयान दिए हैं।