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मनसे ने नवी मुंबई में लगाए पोस्टर, गैर-मराठी भाषियों को दी चेतावनी,’मराठी सीखो, नहीं तो मनसे वाला…

फटाफट पढ़ें

  • नवी मुंबई में ‘मराठी सीखो, नहीं तो मनसे वाला आएगा
  • मराठी भाषा को प्राथमिकता देने की बात
  • मनसे कार्यकर्ताओं ने दुकानदार की पिटाई की
  • हिंदी को तीसरी भाषा अनिवार्य करने का विरोध
  • ‘मराठी बोलो, वरना परेशानी होगी

Marathi Language : महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने नवी मुंबई में पोस्टर्स लगाए हैं. जिनमें यह संदेश दिया गया है कि जो लोग महाराष्ट्र में रहना चाहते हैं, उन्हें मराठी भाषा सीखनी होगी.

महाराष्ट्र में जारी भाषा विवाद के बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने नवी मुंबई के अलग-अलग इलाकों में पोस्टर लगाकर गैर-मराठी भाषियों को चेतावनी दी है कि यदि उन्हें महाराष्ट्र में रहना है, तो मराठी भाषा सीखनी होगी.

एजी मराठी बोलना सीख लो वरना वो मनसे वाला आ जाएगा

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) द्वारा लगाए गए पोस्टरों पर एक कार्टून में लिखा है, “एजी मराठी बोलना सीख लो वरना वो मनसे वाला आ जाएगा.” इसके साथ ही एक और संदेश में कहा गया है, “हमारा आपसे कोई झगड़ा नहीं है, लेकिन अगर यहां मस्ती करोगे तो महाराष्ट्र का झटका जरूर लगेगा.

मनसे प्रमुख राज ठाकरे काफी समय से महाराष्ट्र में मराठी भाषा और संस्कृति को प्राथमिकता देने की बात करते रहें हैं. उनका का मानना है कि राज्य में रहने वाले हर व्यक्ति को मराठी भाषा का सम्मान करना चाहिए और उसे सीखना चाहिए.

मनसे कार्यकर्ताओं ने दुकानदार की पिटाई की

मुंबई के विक्रोली इलाके में इससे पहले मनसे कार्यकर्ताओं ने एक मारवाड़ी दुकानदार की सरेआम पिटाई की और उसे सड़क पर घुमाया था. आरोप था कि उसने सोशल मीडिया पर मराठी समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. बाद में उसे पुलिस को सौंप दिया गया.

हिंदी को तीसरी भाषा अनिवार्य करने का विरोध

महाराष्ट्र में हाल ही में हिंदी और मराठी भाषाओं को लेकर विवाद चल रहा है. राज्य सरकार ने स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने का आदेश जारी किया था, हालांकि, बाद में इस आदेश में बदलाव कर सामान्य रूप से हिंदी को तीसरी भाषा बनाने की बात कही गई, लेकिन यदि 20 या उससे अधिक छात्र सहमत हों तो वे किसी अन्य भारतीय भाषा का विकल्प के रूप में चुन सकते हैं. सरकार के इस फैसले पर विपक्षी दलों, खासकर शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने तीखी प्रतिक्रिया दी. इन दलों ने इसे “हिंदी थोपने” की प्रयास बताते हुए विरोध दर्ज कराया. इसके बाद से ही महाराष्ट्र में भाषा विवाद को लेकर मामले सामने आ रहे हैं.

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