
इलाहाबाद हाई Allhabad High Court ने लखीमपुर हिंसा(Lakhimpur Kheri) मामले में चारों आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दिया कर दिया गया है। लखनऊ बेंच में सोमवार को जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने चार आरोपियों अंकित दास, लवकुश, सुमित जायसवाल व शिशुपाल की जमानत अर्जी खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
अदालत ने कहा कि उच्च राजनितिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए। सभ्य तरीके से यह सोच कर देना चाहिए कि उसका अंजाम क्या होगा। कोर्ट ने कहा, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र ने किसानों को धमकाने वाला कथित बयान नहीं दिया होता तो शायद लखीमपुर खीरी कांड होता ही नहीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब क्षेत्र में धारा 144 लगी थी तो दंगल का आयोजन क्यों किया गया? यह न्यायालय विश्वास नहीं कर सकता कि उपमुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्य की जानकारी में नहीं रहा होगा कि क्षेत्र में धारा 144 के प्रावधान लागू हैं।
मुख्य आरोपी आशीष की जमानत पर सुनवाई 25 को
वहीं अब इस मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर 25 मई को सुनवाई होगी। बता दें कि यूपी के लखीमपुर हिंसा केस में आरोपी आशीष मिश्रा ने CJM कोर्ट में सरेंडर कर दिया था।
सभी आरोपी प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों से है ताल्लुक
कोर्ट ने आगे ये भी कहा कि इस केस के सभी आरोपी राजनीतिक रूप से अत्यधिक प्रभावशाली हैं, इसलिए जमानत पर छूटने के बाद इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है, कि वे अभियोजन पक्ष द्वारा न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने, सुबूतों से छेड़छाड़ करने व गवाहों को प्रभावित करने की आशंका से इस स्तर पर इनकार नहीं किया जा सकता है।
क्या है लखीमपुर हिंसा का पूरा मामला
बीते साल 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कस्बे में हिंसा हो गई थी, जिसमें कई लोगों की जान गई थी। इस मामले में जांच करने वाली टीम ने सीजेएम अदालत में 14 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इस मामले में मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा मुख्य आरोपी हैं। उन पर ये आरोप है कि किसानों की मौत थार गाड़ी से कुचलकर हुई है और इस गाड़ी में आशीष मिश्रा सवार थे।