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माफिया अतीक के बेटे अली अहमद को नैनी से झांसी जेल किया गया शिफ्ट, कहा जानबूझकर प्रयागराज से दूर भेजा गया

UP News : माफिया अतीक अहमद के बेटे अली अहमद को बुधवार दोपहर करीब 2:35 बजे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच झांसी जेल में स्थानांतरित कर दिया गया. जेल के बाहर मीडिया से बातचीत में अली ने बताया कि उसे परेशान करने के उद्देश्य से उसकी जेल बदल दी गई है.

जानबूझकर किया गया शिफ्ट

उसने कहा कि वह नैनी जेल में नियमों का पालन करते हुए रह रहा था, लेकिन उसे जानबूझकर प्रयागराज से दूर भेजा गया. यात्रा के दौरान उसे पीने का पानी नहीं दिया गया और पांच-छह लोगों के साथ एक छोटी गाड़ी में ठूंसकर लाया गया. अली ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई कि अब उसे जेल में सताया न जाए क्योंकि वह अपनी जान को खतरे में महसूस करता है. उन्होंने यह भी बताया कि जेल में रहते हुए उन पर आठ नए मुकदमे दर्ज किए गए हैं.

बढ़ने लगी था मिलने वालों की संख्या

नैनी जेल में उनके मिलने वालों की संख्या बहुत कम थी, केवल उनके वकील ही उनसे मिलते थे. नकदी के संबंध में पूछे जाने पर अली ने कहा कि उसके पास जितनी राशि रखने की अनुमति थी, उतनी ही नकदी थी. प्रयागराज से 14 पुलिसकर्मियों की टीम सुबह लगभग सात बजे उन्हें लेकर निकली थी. वरिष्ठ जेल अधीक्षक विनोद कुमार ने बताया कि सुरक्षा के मद्देनजर उन्हें आंतरिक सेल में रखा गया है. वहीं वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि नैनी जेल में अली से मिलने वालों की संख्या बढ़ने लगी थी, जिसके कारण उनकी जेल बदलने का निर्णय लिया गया.

अली अहमद की जेल परिवर्तन की योजना चार महीनों से बनाई जा रही थी. मंगलवार की रात शासनादेश मिलने के बाद बुधवार सुबह सात बजे अली को केंद्रीय कारागार नैनी से झांसी जिला जेल भेजा गया. माना जा रहा है कि जून में उनके बैरक से नकदी मिलने के बाद से ही यह प्रक्रिया शुरू हुई थी.

रंगदारी मांगने के मामले में किया था आत्मसमर्पण

अली ने 30 जुलाई 2022 को प्रयागराज के प्रॉपर्टी डीलर जिशान उर्फ जानू से पांच करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने के मामले में न्यायालय में आत्मसमर्पण किया था और तब से नैनी जेल में बंद हैं. शुरू में उन्हें हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया था. बाद में 24 फरवरी 2023 को राजूपाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या में नाम आने के बाद उन्हें और भी कड़ी सुरक्षा के तहत हाई सिक्योरिटी सेल में स्थानांतरित कर दिया गया था. उनके बैरक के बाहर सीसीटीवी और बॉडी कैमरे लगाए गए थे और सिपाहियों की तैनाती की गई थी. हालांकि, जून में बैरक की तलाशी के दौरान नकदी मिलने के बाद सुरक्षा व्यवस्था में चूक सामने आई, जिसके बाद मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी गई और जेल स्थानांतरण की तैयारी शुरू हुई.

अली अहमद उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी भी हैं. इस मामले में अतीक अहमद, असद समेत अन्य के साथ मिलकर हत्या की साजिश रचने का आरोप है.

अन्य कैदियों के साथ रहने की जताई थी इच्छा

नैनी जेल में करीब तीन साल दो महीने रहने के दौरान अली से केवल उनके वकील ही मिलते थे. जेल निरीक्षण के दौरान डीजी जेल पीसी मीणा ने भी अली की बैरक देखी थी, जहां अली ने तन्हाई वाले बैरक से हटाकर अन्य कैदियों के साथ रहने की इच्छा जताई थी.

17 जून को जेल अधिकारियों के आदेश पर डीआईजी जेल राजेश श्रीवास्तव ने उनकी बैरक की तलाशी ली, जिसमें 1100 रुपये नकद मिले. इस मामले में दो डिप्टी जेलर और एक वार्डन को निलंबित कर दिया गया था, जबकि तत्कालीन वरिष्ठ जेल अधीक्षक रंग बहादुर पटेल का भी स्थानांतरण कर दिया गया था.

बैरक से गेट तक नहीं की किसी से बात

पूरे मामले पर वरिष्ठ जेल अधीक्षक विजय विक्रम सिंह ने कहा कि, रात लगभग दो बजे उन्हें झांसी स्थानांतरण के आदेश मिले और सुबह सात बजे भारी सुरक्षा व्यवस्था में अली को जेल से बाहर निकाला गया. इस दौरान बैरक से जेल गेट तक उनसे किसी ने कोई बातचीत नहीं की.

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