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जोधपुर में ब्रेन डेड शिक्षक से दो लोगों को मिला जीवनदान, दोनों किडनी की गईं ट्रांसप्लांट

Kidney Transplant : जोधपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में राष्ट्रीय अंगदान दिवस के अवसर पर रविवार को एक ब्रेन डेड मरीज के अंगदान ने दो लोगों को नई जिंदगी दी. मृतक की दो किडनी निकालकर दो मरीजों में सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट की गईं. एक किडनी एम्स जोधपुर में ही ट्रांसप्लांट की गई, जबकि दूसरी किडनी को ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से जयपुर के सवाई मानसिंह (एसएमएस) अस्पताल भेजा गया. यह एम्स जोधपुर में 76वां किडनी ट्रांसप्लांट और मृतक (कैडेवरिक) अंगदाता से आठवां अंगदान है.


सड़क दुर्घटना में ब्रेन डेड घोषित मरीज

झालामंड निवासी 47 वर्षीय सेवाराम प्रजापत, जो एक निजी स्कूल में शिक्षक थे, 29 जुलाई को मोपेड से जाते समय एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए. उन्हें तुरंत एम्स जोधपुर में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी स्थिति बिगड़ती गई और उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया. एम्स के डॉक्टरों ने सेवाराम के परिवार से अंगदान के लिए चर्चा की, और परिवार ने मानवीय भावना दिखाते हुए इसके लिए सहमति दे दी.


ग्रीन कॉरिडोर से जयपुर भेजी गई किडनी

अंगदान की प्रक्रिया रविवार दोपहर शुरू हुई और देर रात तक चली. एक किडनी का ट्रांसप्लांट एम्स जोधपुर में ही किया गया, जबकि दूसरी किडनी को जयपुर के एसएमएस अस्पताल भेजने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया. रात 8 बजे एंबुलेंस को जयपुर के लिए रवाना किया गया, ताकि किडनी को समय पर पहुंचाया जा सके और वहां एक अन्य मरीज का जीवन बचाया जा सके. ग्रीन कॉरिडोर ने तेजी से परिवहन सुनिश्चित किया, जो अंगदान की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.


एम्स की मेडिकल टीम का योगदान

इस जटिल प्रक्रिया को एम्स जोधपुर के कार्यकारी निदेशक प्रो. गोवर्धन दत्त पुरी के नेतृत्व में अंजाम दिया गया. ट्रांसप्लांट प्रोग्राम चेयरमैन डॉ. एएस संधू, ट्रांसप्लांट नोडल ऑफिसर डॉ. शिवचरण नवारिया, और यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, एनेस्थीसिया, और ब्रेन डेथ डिक्लेरेशन टीम ने इस कार्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनकी विशेषज्ञता और समन्वय ने इस अंगदान और ट्रांसप्लांट को सफल बनाया.


राष्ट्रीय अंगदान दिवस का महत्व

राष्ट्रीय अंगदान दिवस, जो हर साल 3 अगस्त को मनाया जाता है, समाज में अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है. एम्स जोधपुर ने इस अवसर पर न केवल अंगदान को बढ़ावा दिया, बल्कि एक ब्रेन डेड मरीज के अंगों के माध्यम से दो लोगों को नया जीवन भी दिया. यह कदम न केवल चिकित्सा क्षेत्र में एक मील का पत्थर है, बल्कि समाज को अंगदान की महत्ता के प्रति प्रेरित भी करता है.


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