जूना अखाड़े ने शुरू की पंचकोशी यात्रा, अखाड़े के सभी नागा साधुओं के साथ महामंडलेश्वर और आम लोग भी होंगे शामिल

Mahakumbh 2025 : जूना अखाड़े ने शुरू की पंचकोशी यात्रा, अखाड़े के सभी नागा साधुओं के साथ महामंडलेश्वर और आम लोग भी होंगे शामिल
Mahakumbh 2025 : जूना अखाड़े के संन्यासियों ने 5 दिवसीय पंचकोशी परिक्रमा की शुरुआत कर दी है। सोमवार को जूना अखाड़े के अध्यक्ष हरि गिरी की अगुवाई में अखाड़े के साधुओं ने गंगा पूजन कर इस यात्रा की शुरुआत की। यह परिक्रमा 24 जनवरी तक चलेगी और इसके समापन पर विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा, जिसमें अखाड़े के सभी नागा साधुओं के साथ महामंडलेश्वर और आम लोग भी शामिल होंगे।
कहां-कहां किए दर्शन
नागा साधुओं के पंच दशनाम जूना अखाड़े ने हर साल की तरह अपनी 5 दिवसीय पंचकोशी परिक्रमा की शुरुआत की, जो 24 जनवरी को समाप्त होगी। परिक्रमा की शुरुआत संगम तट से हुई, जहां साधुओं ने पहले अक्षय वट, सरस्वती कूप, और लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन किए। इसके बाद, ईष्ट देव भगवान दत्तात्रेय और शिवदत्त महाराज की समाधि के दर्शन किए गए। यात्रा रामघाट होते हुए त्रिवेणी मार्ग से यमुना तट स्थित मौजगिरी आश्रम पहुंची, जहां ईष्टदेव की पूजा के बाद सिद्धपीठ ललिता देवी और कल्याणी देवी के दर्शन किए गए। इसके बाद वनखंडी महादेव, कृष्णा नगर के रामजानकी मंदिर में पूजन कर दत्तात्रेय शिविर में विश्राम लिया गया।
आगे कहां जाएगी यात्रा
यात्रा का अगला पड़ाव शूल टंकेश्वर महादेव, आदि माधव, चक्रमाधवों के दर्शन के लिए जाएगा। इसके साथ ही परंपरा अनुरूप यात्रा द्वादश माधवों और द्वादश महादेवों के दर्शन करेगी। इसके बाद संतों दुर्वासा ऋषि, पनास ऋषि की तपोस्थलियों से होते हुए, शक्तिधाम ज्वाला देवी, समुद्र कूप और कल्पवृक्ष का दर्शन को जाएगी। पंचकोसीय परिक्रमा कष्ट हरण हनुमान जी, सुजावन देव, पडिला महादेव होते हुए श्रृंगवेरपुर में सीता कुण्ड और निषादराज स्थली जाएंगे। चौथे दिन नाग वासुकी, वेणी माधव का दर्शन कर अलोप शंकरी देवी की पूजा की जाएगा। वहीं, पांचवें व अंतिम दिन में यह यात्रा भारद्वाज ऋषि की प्रतिमा का जलाभिषेक कर, भारद्वाजेश्वर महादेव की पूजा करेगी। इसके बाद साधुओं के संगम स्नान के बाद भण्डारे में महाप्रसाद वितरण के साथ यह यात्रा खत्म होगी।
क्यों जरूरी है यह यात्रा?
अखाड़े का उद्देश्य प्रयाग में स्थित तीर्थों, घाटों और उपतीर्थों की यात्रा करना है। अखाड़े का मानना है कि पंचकोशी यात्रा से आत्मिक शुद्धि होती है और इससे मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह साधकों को आध्यात्मिक उन्नति और शांति प्राप्त करने का अवसर भी प्रदान करती है।
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