
Air Pollution: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने हाल ही में जहरीली हवा के प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों से संबंधित एक मामले में अस्पष्ट जवाब दाखिल करने के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय पर ₹25,000 का जुर्माना लगाया है। बता दें कि यह जुर्माना एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए सेंथिल वेल की अध्यक्षता में लगाया गया है।
Air Pollution: मंत्रालय ने नहीं दिया स्पष्ट उत्तर
पर्यावरण मंत्रालय की ओर से उपस्थित वकील से जब पूछा गया कि उनके द्वारा क्या प्रभावी कदम उठाए गए हैं, तो उन्होंने स्वीकार किया कि मंत्रालय का इस पहलू पर स्पष्ट उत्तर नहीं है और बार-बार पूछने के बावजूद, वह प्रभावी नियंत्रण के लिए उठाए गए एक भी कदम के बारे में नहीं बता सके। बता दें कि एनजीटी ने यह आदेश समाचार लेखों के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए पारित किया गया था, जिसमें मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर जहरीली हवा के संभावित दुष्प्रभावों पर प्रकाश डाला गया था।
Air Pollution: फंड का नहीं हो रहा सही इस्तेमाल
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्वीकार किया है कि हवा में कई प्रदूषक तत्व की उपस्थिति है। एनजीटी ने कहा कि जवाब के अनुसार, सीपीसीबी पर्यावरण संरक्षण शुल्क (ईपीसी) फंड के तहत सड़कों के निर्माण और मरम्मत के साथ-साथ मैकेनिकल रोड स्वीपर के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के शहरी स्थानीय निकायों को वित्त पोषण कर रहा था। यह भी पाया गया कि सीपीसीबी के पास जमा की गई पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईसी) की राशि को अनधिकृत उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था।
ये भी पढ़ें- Delhi News: ऐप आधारित दैनिक उपस्थिति से बढ़ेगी कर्मचारियों के बीच जवाबदेही