Jharkhand

Deoghar: अनोखी परंपरा से होती है देवघर में शारदीय नवरात्रि की पूजा

आज से नवरात्रा शुरू है और देवघर में पहली पूजा से ही माँ की प्रतिमा स्थापित कर की जाती है पूजा। इस तरह पहले दिन से मूर्ति पूजा भारत में कही नहीं होती है सिर्फ देवघर में होती है।

देवघर में है दूर्गा पूजा की अलग परंपरा


देवघर में कलश लगाने के साथ दस दिनों तक चलने वाली दुर्गा पूजा शुरू हो गई है। पूजा मंडप में माँ को देखने के लिए भक्तों की भीड़ लग गई है। वैसे तो कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र का शुभारंभ होता है और माँ की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा कर सात पूजा से पूजा की जाती है, लेकिन देवघर के श्री बालानन्द ब्रहमचारी आश्रम में माँ की पूजा की एक अलग परंपरा सदियों से चली आ रही है।

वास्तव में, पुरोहितों द्वारा पूरे वैदिक तरीके से दुर्गा शप्तसती का पाठ किया जाता है, पहली पूजा से पहले माँ की मूर्ति को सामने रखा जाता है। यहाँ नवरात्र की पूजा शुरू होने से पहले एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान होता है, जिसके बाद पुरोहितों को वस्त्र दान करके कुमारी कन्या की धर्मशास्त्रों के अनुसार पूजा की जाती है।

हाथ में कलश लेकर कुआरी कन्या करती हैं मां की पूजा

इस पूजा को एक कन्या की पूजा से शुरू कर महानवमी तक 51 कुमारी कन्या की पूरी श्रद्धा से पूजा जाता है। कुंवारी कन्या, गाजे-बाजे के साथ हाथ में कलश लेकर माँ की बेदी की पूजा करती है, फिर कलश को स्थापित करती है। यह अनूठी परंपरा सदियों से चली आ रही है कि नवरात्र में पहली पूजा से ही माँ की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है। आश्रम के शिष्य देश के कई राज्यों से इस अनोखी विधि से नवरात्र की पहली पूजा में भाग लेने आते हैं।

रपोर्ट-पप्पु भारतीय

ये भी पढ़ें- Jharkhand: पुलिस कर्मियों ने बचाई घायल माओवादी की जान

Related Articles

Back to top button