
दागी पुलिस अधिकारियों को संवेदनशील पदों पर तैनात करने के मामले पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना का नाम दागी अधिकारियों की सूची में शामिल करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया कि कमिश्नर ने जानबूझ कर दागी अधिकारियों की सूची में प्रबाद सक्सेना का नाम शामिल नहीं किया। जब कमिश्नर ने भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों की सूची हाईकोर्ट को सौंपी तो उन्हें अपने खिलाफ आपराधिक मामले की जानकारी थी।
आरोप लगाया गया कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दिल्ली की सीबीआई अदालत में मामला दायर किया गया है। इस मामले में सीबीआई ने उन पर 350 करोड़ रुपये का आरोप लगाया है। मामले की पूरी जानकारी होने के बावजूद कमिश्नर ने कोर्ट में झूठा शपथ पत्र पेश किया। इनका विस्तार संवेदनशील योगदान तक है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

किशोरी से यौन उत्पीड़न के मामले में जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है
शिमला जिला अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी। विशेष न्यायाधीश अमित मंडयाल ने कहा कि आरोप गंभीर हैं। ऐसे में उसे जमानत पर रिहा करना उचित नहीं है। पुलिस ने चौपाल निवासी राजीव के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 363, 366ए, 376 और 212 और पोक्सो अधिनियम की धारा 4 के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने अदालत को बताया, पीड़िता के पिता की शिकायत के बाद आरोपी के खिलाफ मामला शुरू किया गया। पुलिस को रिपोर्ट दी गई कि संदिग्ध ने पीड़िता को ठियोग के एक होटल में खींच लिया और उसके साथ बलात्कार किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने प्रतिवादी की जमानत पर रिहाई को खारिज करने का आदेश पारित किया।