
Morbi Bridge Case: अभी तक ओरेवा ग्रुप ने मोरबी ब्रिज हादसे के पीड़ितों के लिए मुआवजे की पहली इंस्टॉलमेंट जारी नहीं की है। ये जानकारी गुरुवार को गुजरात उच्च न्यायालय को दी गई। आपको बता दें कि त्रासदी में खुद कोर्ट ने संज्ञान लिया था।
रिपोर्ट्स की मानें तो, मच्छू नदी पर बना झूला पुल 30 अक्टूबर को ढह गया था। इसमें 35 बच्चों के साथ 135 लोगों की मौत हो गई थी।
जैसा कि ओरेवा ग्रुप के निदेशक जयसुख पटेल के वकील ने अदालत को बताया कि चूंकि वो जेल में है, कंपनी मुआवजे की राशि जारी नहीं कर सकती है। उच्च न्यायालय ने मौखिक रूप से कंपनी को यह देखने के लिए कहा कि 22 मार्च तक पीड़ितों के परिवारों को पहली किस्त का भुगतान किया जाए और मामले की अगली सुनवाई को 27 मार्च को पोस्ट किया किया गया है।
जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार ने अदालत में एक हलफनामा दायर कर अन्य पुलों और क्रॉस-ड्रेनेज कार्यों के लिए उठाए जाने वाले एहतियाती उपायों के बारे में सूचित किया है।
इस दौरान अदालत को सूचित किया है कि “अब से, मानसून सेट से पहले पहली बार उप कार्यकारी अभियंता स्तर के अधिकारी द्वारा पुलों का निरीक्षण किया जाएगा। निरीक्षणों की एक उचित फाइल रखी जाएगी। बाद में, कार्यकारी अभियंता भी मानसून से पहले और बाद में अपने संबंधित क्षेत्रों में पुलों की जांच करेंगे।”
सरकार ने अदालत को यह भी सूचित किया कि मानसून के बाद एक बार विशेष पुलों का अधीक्षण अभियंता द्वारा निरपवाद रूप से निरीक्षण किया जाएगा।