Yamuna Cleaning: दिल्ली में एशिया का सबसे बड़ा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, प्रगति रिपोर्ट सौंपने का निर्देश

Yamuna Cleaning: यमुना की सफाई के लिए दिल्ली सरकार युद्धस्तर पर काम कर रही है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश में दिल्ली सरकार ओखला में एशिया का सबसे बड़ा सीवेज़ ट्रीटमेंट प्लांट तैयार करवा रही है। इस प्लांट में प्रतिदिन 564 मिलियन लीटर सीवेज़ को शोधित किया जा सकेगा। पोजेक्ट पर चल रहे काम का निरीक्षण करने के लिए दिल्ली सरकार में जल मंत्री आतिशी मार्लेना ने गुरुवार, 30 नवंबर को इस प्लांट का दौरा किया। और प्रोजेक्ट में देरी को लेकर जलमंत्री ने अधिकारियों को फटकार लगाई और निर्देश दिया कि 2023 के अंत तक प्लांट को शुरू कर दिया जाए।
Yamuna Cleaning: सफाई अभियान साबित होगा गेम चेंजर
निरीक्षण के मौक़े पर जल मंत्री आतिशी ने कहा कि, 564 एमएलडी क्षमता वाला ये प्लांट यमुना को साफ़ करने की दिशा में गेम चेंजर साबित होने वाला है। उन्होंने आगे कहा कि इस प्लांट के शुरू होने के बाद प्रतिदिन करोड़ों लीटर सीवर को सीधे यमुना में छोड़ने के बजाय उसे शोधित करके छोड़ा जाएगा। इस प्लांट के चालू होने के बाद गंदे पानी के बायोलॉजिकल ऑक्सीडेशन डिमांड (बीओडी) स्तर को शोधित कर 10 तक लाया जा सकेगा। प्लांट से उपचारित पानी न केवल यमुना को साफ करने में मदद करेगा, बल्कि बाग़वानी सहित अन्य चीजों के लिए भी उपयोगी बनेगा।
Yamuna Cleaning: अधिकारियों को दिए निर्देश
साइट विजिट के दौरान जलमंत्री ने पाया कि प्रोजेक्ट तय डेडलाइन से पीछे चल रहा है, इसपर अधिकारियो को निर्देश देते हुए जल मंत्री ने कहा कि, नए टाइमलाइन के साथ साल के अंत तक बचा हुआ काम पूरा किया जाए। इसके साथ ही हर सोमवार को इसकी प्रोग्रेस रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि यमुना को साफ़ करने की दिशा में ये प्लांट बेहद महत्वपूर्ण है, ऐसे में इसके निर्माण में अब एक दिन की भी देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
Yamuna Cleaning: 40 लाख लोग होंगे लाभांवित
इस परियोजना के ज़रिए 40 लाख लोगों को लाभ मिलेगा क्योंकि ये दिल्ली की एक बहुत बड़ी आबादी क्षेत्र के सीवेज़ को ट्रीट करने का काम करेगा। ये प्लांट एशिया का सबसे बड़ा सीवेज़ ट्रीटमेंट प्लांट है, जो अकेले दिल्ली के 15 से 20% सीवेज़ को शोधित करेगा। शोधित होने के पश्चात पानी का बीओडी इस स्तर पर पहुँचेगा जिसका इस्तेमाल बाग़वानी सहित विभिन्न कार्यों में किया जा सकेगा। सीवेज़ के गाद से बायो-गैस तैयार किया जाएगा।
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