
Uttarakhand News : नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने उत्तराखण्ड सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में भाजपा सरकार ने पंचायती राज की संवैधानिक अवधारणा को नष्ट कर दिया है। सरकार ने आरक्षण लागू करने में न पंचायती राज अधिनियम में उल्लेखित प्रावधानों का पालन किया न उच्चतम न्यायालय ओर उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन किया गया
उन्होंने कहा कि एक दिन पहले सरकार के महाधिवक्ता ने उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया था कि वे आरक्षण के विसंगतियों पर 3 दिन के भीतर माननीय न्यायालय में सरकार की ओर से जबाव देंगे। न्यायालय में महाधिवक्ता का आश्वासन सरकार का आश्वासन होता है, लेकिन सरकार ने अपना आश्वासन पूरा करने के बजाय राज्य में त्रिस्तरीय चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी है।
त्रिस्तरीय पंचायत आरक्षण प्रकिया
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 2016 में कांग्रेस सरकार द्वारा उत्तराखंड के पंचायत राज एक्ट में त्रिस्तरीय पंचायत आरक्षण प्रकिया को रोटेशन प्रणाली से लागूकर प्रत्येक वर्ग को पंचायतों में प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान किया गया था। उच्चतम न्यायालय द्वारा ओबीसी वर्ग को पंचायतों में आरक्षण दिए जाने के निर्देशों के क्रम में वर्मा आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, ओबीसी वर्ग के आरक्षण निर्धारण तो प्रथम चरण के अनुसार होना चाहिए, लेकिन अन्य वर्गों के आरक्षण की प्रक्रिया 2019 के पंचायत चुनावों के बाद वर्तमान में द्वितीय चरण में रोटेशन के आधार पर होनी चाहिए थी।
रोटेशन के आधार पर प्रत्येक वर्ग
यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार के इस बेतुके निर्णय से एक ही सीट तीसरी अथवा चौथी बार एक ही वर्ग के लिए आरक्षित हो गई है। ऐसे में किसी एक वर्ग के लोगों को एक जीवन में प्रतिनिधत्व ही नहीं मिलेगा, जबकि पंचायतों में आरक्षण की मूल धारणा के अनुसार, हर पांच वर्षों में रोटेशन के आधार पर प्रत्येक वर्ग महिला, पुरुष, एससी, ओबीसी, एसटी को प्रतिनिधित्व दिए जाने का प्रावधान है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आरक्षण तय करने में सरकार को उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार पुराने रोस्टर को ही आगे बढ़ाते हुए पिछड़े वर्ग को शून्य से आरक्षण देना था, लेकिन सरकार ने पंचायतों के हर स्तर के लिए अलग फॉर्मूला तय किया है, जो असंवैधानिक है।
समाज के हर वर्ग को रोस्टर के अनुसार मिले प्रतिनिधित्व
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा पंचायत राज संबंधी संवैधानिक सुधारों की मूल भावना यह थी कि समाज के हर वर्ग को रोस्टर के अनुसार प्रतिनिधित्व मिले, लेकिन उत्तराखंड में अपने चहेते लोगों को रेवड़ी बांटने के लिए सरकार ने इस भावना को तार तार कर दिया है।
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